बता दें कि जौरासी हनुमान मंदिर के पीछे बने अष्ट महालक्ष्मी मंदिर में बुधवार को माता अष्ट महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा हुई। महालक्ष्मी की मूर्तियों की विधिविधान के साथ मंडप पूजन और पूर्णाहूति के साथ विसर्जन किया गया। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एक मार्च से शुरू हो गया था। 7 मार्च को होने वाले लोकार्पण कार्यक्रम में मुयमंत्री डॉ. मोहन यादव के आने का तय था। लेकिन अचानक कार्यक्रम बदल गया और वे बुधवार को ही मंदिर पहुंच गए। अष्ट महालक्ष्मी के दर्शन किए। मुख्यमंत्री के अचानक कार्यक्रम के बदलने को लेकर प्रशासन सुबह से अलर्ट हो गया। उनके आने तक तैयारी चलती रही। 7 मार्च को आना था, लेकिन सीधे भिंड से हवाई मार्ग से जौरासी पहुंचे। 3.40 बजे मंदिर में प्रवेश किया। टेकनपुर में हेलीकॉप्टर लैंड किया। सीधे मंदिर में पहुंचे और अष्ट महालक्ष्मी को फूलमाला पहनाई, श्रीफल चढ़ाया व आरती की।
इससे पहले तैयारी का जायजा लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर पहुंच गए थे। उन्होंने व्यवस्थाओं को देखा व मुयमंत्री डॉ. मोहन यादव की आगमानी की। कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र जैन ने किया। इस अवसर पर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेश चतुर्वेदी, सचिव प्रेमसिंह भदौरिया और व्यवस्थापक गुलाब सिंह भदौरिया आदि मौजूद थे।
7 मार्च को वेदपाठ व लोकार्पण कार्यक्रम होगा। जिसमें मुख्य अतिथि स्वामी अवधेशानंद गिरी होंगे। इस दौरान भंडारा आयोजित किया जाएगा। ट्रस्ट के मुताबिक 1 लाख से ज्यादा लोग प्रसादी ग्रहण करेंगे। आसपास के गांव के ग्रामीणों को प्रसादी वितरण की जिमेदारी सौंपी गई। साथ ही उन सदस्यों को बैज वितरित किए गए है।
इस दौरान केन्द्रीय नागर विमानन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 7 मार्च को ग्वालियर के इस अष्टमहालक्ष्मी मंदिर में रहेंगे। वे 7 मार्च को सुबह 9.30 बजे कलेक्ट्रेट पहुंचकर अधिकारियों की बैठक लेंगे। सुबह 10.30 बजे जौरासी में अष्ट महालक्ष्मी मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया विमानतल महाराजपुरा पहुंचकर विमान से दोपहर 12.30 बजे नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि ग्वालियर शहर में लगातार बंद होने वाले उद्योग-धंधों के बाद धर्माचार्यों ने इस मामले पर चर्चा की। निष्कर्ष में सामने आया कि शहर में बड़ा वास्तु दोष आया है। ये वास्तु दोष शनि पर्वत के क्षेत्र ग्वालियर में सूर्य मंदिर की स्थापना के कारण हुआ। इसका असर शहर के कारोबार पर दिखा। अब इस वास्तु दोष को सुधारने के लिए अष्ट महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण जरूरी था।