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ग्वालियर

कभी पानी का खजाना था यहां, अब 89 कुएं में से 68 बंद, 20 सूखे और एक में कचरा

लोगों ने जलवान कहे जाने वाले इस क्षेत्र से उसकी ताकत को छीन लिया है। अब हालात यह हैं कि 89 कुओं में से 68 को बंद कर दिया गया है,20सूखे पड़े हैं और एक कुएं में कचरा भरा हुआ है।

ग्वालियरJul 02, 2018 / 07:25 pm

monu sahu

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कभी पानी का खजाना था यहां, अब 89 कुएं में से 68 बंद, 20 सूखे और एक में कचरा

ग्वालियर। कभी शहर का सबसे जलवान क्षेत्र माना जाने वाला वार्ड 52 कुओं का खजाना हुआ करता था। यहां रियासत काल में सबसे अधिक काम हुआ। लोगों को कुछ दूरी पर ही पानी मुहैया हो जाए, इसके लिए 89 कुएं बनवाए गए, लेकिन अब हालात बिल्कुल विपरीत हैं।
लोगों ने जलवान कहे जाने वाले इस क्षेत्र से उसकी ताकत को छीन लिया है। अब हालात यह हैं कि 89 कुओं में से 68 को बंद कर दिया गया है,20सूखे पड़े हैं और एक कुएं में कचरा भरा हुआ है। यह सच नगर निगम द्वारा ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के कराए जा रहे सर्वे में सामने आया है।
यही स्थिति अन्य वार्डों की भी है। यह हालात तब हैं जब नगर निगम के पास वाटर हार्वेस्टिंग के फंड में करोड़ों रुपए जमा हैं। अगर इन कुओं को ही वाटर हार्वेस्टिंग के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो निगम को गड्ढे भी नहीं खोदने पड़ंगे और पूरा वार्ड फिर से जलवान हो जाएगा।
चंबल से पानी लाने से पहले कुओं को अतिक्रमण से मुक्त कराकर फिर से जिंदा किया जाए, आस पास की कॉलोनियों, सड़कों और पार्कों के पानी का रास्ता उक्त कुओं की तरफ किया जाए तो शहर को जल संकट से इसी बरसात में बचाया जा सकता है।
ग्वालियर दक्षिण विधान सभा का सर्वे
सर्वे में मुख्य बिंदु सामने आए
321 कुएं बंद कर दिए गए।
62 में पीने योग्य पानी।
82 कुओं में भरा है कचरा।
12 कुओं का पानी पीने योग्य नहीं है।

जल संरचना का प्रकार
573- कुएं हैं
23- बावडि़यां
1- हनुमान बांध
1- महराब साहब की तलैया
नोट- 321 कुओं पर लोगों ने अतिक्रमण कर उन्हें बंद कर दिया है। 82 कुओं में लगातार कचरा डाला जा रहा है।


62 को रखा सहेजकर
अच्छी खबर यह भी कि क्षेत्र में 62 कुओं को लोगों ने सहेजकर रखा हुआ है, जिमसें पीने के लिए पानी उपलब्ध है।

पौध के लिए किया जा सकता है उपयोग
12 कुओं का पानी पीने के लिए उपयोग नहीं करते हुए पौधरोपण आदि में उपयोग किया जा सकता है।


किया जा सकता है जल संकट खत्म
जानकारों का कहना है चंबल से पानी लाने की जगह उक्त कुओं पर ही फोकस किया जाए तो बरसात का पानी कुओं में सहेजकर वर्षों तक शहर का जल संकट खत्म किया जा सकता है।

करेंगे कार्रवाई
कोर्ट के आदेश के तहत शहर का सर्वे करा रहे हैं। इसमें हम सभी कुओं और बावडि़यों को संरक्षित करने के लिए प्लान बना रहे हैं। जिस पर जल्द ही एक्शन होगा और सभी कुओं को जिंदा कर जल संकट को खत्म किया जाएगा।
विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम।

प्रबंधन जरूरी
अफसरों का फोकस केवल करोड़ों रुपए की डीपीआर पर ही है, जबकि हमारे यहां प्रबंधन कर लिया जाए तो जल संकट को खत्म किया जा सकता है।
कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम।

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