खास बात यह है कि क्वांरटाइन होने के डर से जो लोग बीमारी छुपाकर प्राइवेट डॉक्टरों के पास जाकर इलाज करा रहे हैं, उनको भी टार्गेट पर लिया गया है। शुक्रवार को लांच हुए ‘सर्विलेंस ऑफ इनफ्लुएंजा लाइक इलनेस और सीवियर अक्यूट रेसपीरेटरी इलनेस सिस्टम के जरिए अगले दो दिन में इसका कुछ हद तक डेटा सामने आने की संभावना है। इससे मरीजों की ऑनलाइन मॉनीटरिंग भी आसान होगी और संंक्रमण से संबंधित बीमारियों की रिपोर्ट भी प्रशासन के पास मौजूद रहेगी।
COVID 19 ; प्रायवेट मेडीकल और डॉक्टरों के लिए नया नियम, स्मार्ट सिटी सीईओ जयति सिंह ने दिये निर्देश
असमंजस में केस हिस्ट्री
शुक्रवार को पॉजिटिव आए मरीजों में से सबसे ज्यादा असमंजस 29 वर्षीय डॉ आकाश गढ़वाल की केस हिस्ट्री पर है। डॉ आकाश की ड्यूटी 1 से 15 अप्रैल तक सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के कोरोना संक्रमित मरीजों के वार्ड में थी।इसके बाद वे 14 दिन क्वारंटाइन रहे। क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद उनकी ड्यूटी मेडिसिन विभाग के आईसीयू में लगाई गई। ड्यूटी जॉइन करने के बाद उनमें लक्षण दिखाई दिए और वे छुट्टी पर चले गए थे, सैंपलिंग के बाद पाजिटिव आए हैं। हालांकि, डॉ आकाश के पॉजिटिव आने के बाद सीनियर बॉयज हॉस्टल में रह रहे अन्य जूनियर डॉक्टरों की ड्यूटी रद्द करके क्वारंटाइन कर दिया गय है। इसके बावजूद इस दौरान वे अन्य जितने भी लोगों के संपर्क में रहे हैं, उनको ट्रैस किया जाना आसान नहीं है।
#CORONAWARRIOR : आस्था के लिए 15 घंटे कुछ नहीं खाते-पीते, सूचना मिलते ही निकल पड़ते हैं क्वारंटाइन सेंटर
बाहर से आने वाले बन रहे परेशानी
मेडीकल और डैथ इमरजेंसी के लिए ई-पास लेकर जाने वाले हों या फिर किसी परिजन को लाने या छोडक़र वापस आने वाले लोग परेशानी की वजह बन रहे हैं। अभी तक ई-पास धारकों के वापस लौटने पर सिर्फ स्क्रीनिंग हो रही थी, पूरी तरह से स्वास्थ्य जांच नहीं की जा रही थी। अब जबकि कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है तो ई-पास से वापस आने वालों की भी पूरी स्वास्थ्य जांच बेहद आवश्यक हो गई है।
इधर जंग लड़ रहे कर्मियों को नही मिला वेतन
कोरोना संक्रमण से रोकथाम में शामिल स्वास्थ्य विभाग के अमले में लगभग 150 संविदा स्वास्थ्य कर्मी भी काम कर रहे हैं। इन कर्मियों को अभी तक वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने की वजह से अधिकतर कर्मचारियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। संविदा कर्मियों में सिविल सर्जन द्वारा उदासीनता अपनाए जाने की वजह से नाराजगी है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के मीडिया प्रभारी धर्मवीर शुक्ला ने बताया कि सीएमएचओ ने अपने अधीन आने वाले कर्मचारियों को तीन मई को ही दे दिया था। जबकि सिविल सर्जन के अधीन आने वाले स्टाफ को अभी तक भुगतान नहीं हुआ है। इसके अलावा 5500 रुपए फिक्स मानदेय के आधार पर जो सपोर्टिंग स्टाफ रखा गया है, उसको भी वेतन नहंी मिला है।