पुलिस ने बताया राजमाता सिंधिया नगर बस्ती, कंपू निवासी मजदूर की छह साल की मासूम बेटी २३ मई की दोपहर को घर के बाहर खेल रही थी। गर्मी की वजह से बस्ती में सन्नाटा था। तब संतोष बरार मासूम को टॉफी दिलाने के बहाने बहलाकर घर से दूर निर्माणाधीन मंदिर में ले गया। वहां बच्ची से दुष्कर्म का प्रयास किया, लेकिन उसी दौरान बस्ती की लाइट गुल हो गई तो वहशी डर गया। उसे लगा गर्मी की वजह से बस्ती वाले घर के बाहर निकल आएंगे, तो उसने मासूम बच्ची से कहा बाहर जाकर देख आओ कोई है तो नहीं। संतोष के चंगुल से छूटकर मासूम भागकर घर आ गई और माता पिता को वाक्या बताया।
उसकी बात सुनकर परिजन मंदिर पर पहुंचे तो संतोष भाग चुका था। मासूम के पिता ने पत्रिका को बताया संतोष करीब ५ दिन पहले ही बस्ती में रहने आया है, इसलिए उसे शक्ल से नहीं पहचानते थे, उसे दबोचने के लिए बस्ती वालों को घटना बताई। दो दिन से पूरी बस्ती के लोग उसकी तलाश में थे। बुधवार सुबह बच्ची शौच के लिए गई तो संतोष दिख गया उसे देखकर डरकर घर भागी, पता चलने पर परिजन दंरिदे को पकडऩे आए तब तक वह फिर गायब हो चुका था।
इसलिए बस्ती वालों ने उसे दबोचने के लिए जाल बिछाया। गुरुवार सुबह बच्ची को लेकर वह बस्ती से निकल कर मांढरे की माता मंदिर के पास आ गए। करीब डेढ़ बजे संतोष आता दिखा तो बच्ची ने इशारा कर दिया। पिता के साथ बेटी को देखकर संतोष फिर भागा, लेकिन इस बार बच नहीं सका, मंदिर के पास बोरबेल से टैंकर भर रहे लोगों ने उसे दबोच लिया। पब्लिक उसे घसीट कर बस्ती में ले गई। वहां संतोष को पेड़ से बांध दिया फिर गुस्साई भीड़ ने उसे लात, घूंसे और चप्पलों से पीटा। कंपू टीआइ महेश शर्मा ने बताया कि संतोष को हवालात में कर उसके खिलाफ पास्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।