जीएसटी लागू होने से पैक्ड दही, बटर, लस्सी, छाछ, श्रीखंड और गुड़ जैसी चीजों के दाम 1 से 15 रुपए तक बढ़ जाएंगे। इससे परिवार पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ेगा। डिब्बा बंद फूड एक ओर महंगा होगा और दूसरी ओर उस पर टैक्स भी उतना ही ज्यादा देना होगा। पड़ताल में पता चला है कि 200 रुपए के फूड पैक्ड पर 15 रुपए ज्यादा देना होंगे। यानी जो चीजें अब तक 200 रुपए में उपलब्ध हैं, उनकी कीमत 215 रुपए हो जाएगी। जीएसटी की दरों का चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित व्यापारियों ने भी विरोध करना शुरू कर दिया है।
होटल… यहां चुकाना होंगे 1,120 रुपए
कोरोना संक्रमण काल के बाद पर्यटन उभर ही रहा था कि अब जीएसटी बड़ा झटका देने की तैयारी में है। 1 हजार रुपए से कम किराए वाले होटलों पर भी 12 फीसदी जीएसटी लागू हो जाएगा। इसमें पर्यटकों को 1,000 रुपए किराए के रूम पर 120 रुपए टैक्स देना पड़ेगा। यानि कुल 1,120 रुपए चुकाने होंगे। शहर के करीब 60 प्रतिशत होटल इस दायरे में आ जाएंगे। इसका सबसे ज्यादा असर मिडिल क्लास और बजट फ्रेंडली पर्यटकों की जेब पर पड़ने वाला है। होटल मैनेजर प्रीतम खन्ना ने बताया कि शहर में 60 प्रतिशत होटल ऐसे हैं जिनका किराया 1000 रुपए से कम है।
अस्पतालों के कमरे भी होंगे महंगे
अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए 5,000 से अधिक किराए वाले कमरों (आइसीयू को छोड़कर) पर 5 फीसदी जीएसटी लगने वाला है। यानि 10,000 रुपए के अस्पताल के रूम पर अब जीएसटी के रूप में 500 रुपए अतिरिक्त देते हुए 10,500 रुपए चुकाना होंगे।
मार्का के साथ बिक्री पर 5 फीसदी टैक्स
आमतौर पर पैक्ड वाली चीजों का उपयोग रोजाना किचन में ज्यादा होता है। जीएसटी के नए फैसले के अनुसार कोई किराना दुकानदार अपनी चीजों की केवल पहचान के लिए किसी मार्का के साथ उसे पैक कर बाजार में बिक्री करता है तो उसे भी 5 फीसदी जीएसटी देना होगा। उदाहरण के लिए ऐसे कारोबारी जिनकी दुकानें नाम से चर्चित हैं और अगर उन्होंने अपनी दुकान का मार्का ही खाद्य सामग्री में प्रिंट करवाकर चिपका दिया तो वे भी टैक्स के दायरे में आ जाएंगे।
शहर में 85 फीसदी कारोबार अनब्रांडेड खाद्यान्न का
● अनब्रांडेड खाद्यान्न (चावल, दाल-दलहन आटा) को जीएसटी के दायरे लाते हुए इन पर 5 फीसदी जीएसटी लगाने की तैयारी है। मप्र चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विजय गोयल ने बताया कि शहर में 85 फीसदी कारोबार अनब्रांडेड खाद्यान्न का है, ऐसे मेें जीएसटी लगने से इन सभी को परेशानी आने वाली है। सरकार को इसे हटानेे पर पुर्नविचार करना चाहिए।
● ऑल इंडिया दाल मिल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि मूंगफली तेल, सोयाबीन तेल, पाम ऑइल, सरसों तेल के दाम दो वर्ष में काफी बढ़े हैं। सभी प्रकार के मसालों में कोविड काल के बाद काफी तेजी आई है। इन सभी के बीच भारत में अगर कोई सस्ती वस्तु मिल रही है तो वह सभी प्रकार की दालें हैं।
● ऐसे में यदि सरकार इन पर टैक्स लगाती हैं तो व्यापारी धीरे-धीरे व्यापार से दूर होता चला जाएगा और बड़ी कंपनियां अनाज के व्यापार में आधिपत्य स्थापित कर लेंगी। इससे उपभोक्ता को सभी प्रकार की दाले महंगी मिलेंगी।