ऐसे चलन से बाहर हुआ सिक्का
रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने 2010 में 10 रुपए का सिक्का जारी किया। इस पर 15 लकीर और अंकों और शब्दों में 10 रुपए के अलावा दूसरी तरफ भारत और सत्यमेव जयते लिखा था। 8 साल बाद आरबीआइ ने दूसरा सिक्का भी जारी किया। इसमें अंकों और शब्दों में 10 रूपए के साथ रूपया भी लिखा था। लेकिन अब पुराने सिक्के को नकली बताकर चलन से बाहर किया जा रहा है।
ग्राहक देते हैं लेते नहीं
पान की दुकान संचालक मनीष का कहना है 10 रूपए के पुराने सिक्के को लोगों ने लेना ही बंद कर दिया है। ग्राहक यह सिक्का दे तो जाते हैं, लेकिन लेने को राजी नहीं होते। आरबीआइ ने इस सिक्के का चलन बंद नहीं किया है लोगों को समझाते हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता। मनीष गल्ले में इन सिक्कों का ढेर दिखाकर कहते हैं करीब 250 रुपए के सिक्के इकट्ठे हो चुके हैं।
हम दो रुपया काटकर खरीदते हैं
फटे, पुराने नोट बदलने की दुकान चलाने प्रवीण का कहना था 10 रुपए के पुराने सिक्के रोज उनके पास आते हैं। क्योंकि बाजार में इनका चलन लोगों ने बंद कर दिया है। बैंक भी इन्हें नहीं लेती इसलिए वह दो रुपया बट्टा काटकर 8 रुपए में खरीदते हैं। प्रवीण ने यह नहीं बताया कि बैंक नहीं लेती तो बट्टे पर नोट बदलने वाले इन सिक्कों को कहां खपा रहे हैं।
धातु के लिए गलाए जा रहे सिक्के
पीतल, तांबे के कारीगरों कहना था कुछ साल पहले इसी तरह 20 पैसे के सिक्के का चलन अचानक बंद हुआ था। क्योंकि सिक्के को बाजार में चलाने से ज्यादा गला कर बेचने में फायदा था। यही फंडा 10 रुपए के सिक्के के अपनाया जा रहा है। इसलिए सिक्के को नकली बताने की अफवाह फैलाइ गई है। सिर्फ ग्वालियर, चंबल अंचल में सिक्के का चलन बंद है। बाकी पूरे देश में यह सिक्के धड़ल्ले से चल रहे हैं।
10 रुपए के सिक्के बाजार में पहले की तरह ही चल रहे हैं। आरबीआइ की ओर से सिक्के बंद नहीं किए गए हैं, आमजन अपने हिसाब से ही इन्हें बंद कर देते हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।
ब्रजभान सिंह भदौरिया, एलडीएम ग्वालियर