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भीतरघात से आहत पवैया का दर्द उभरा, बोले- चुनाव हारा हूं लेकिन मूल्य नहीं हारा

भीतरघात से आहत पवैया का दर्द उभरा, बोले- चुनाव हारा हूं लेकिन मूल्य नहीं हारा
 

ग्वालियरDec 14, 2018 / 03:33 pm

Gaurav Sen

mp election result 2018 jai bhan singh pwaiya comment

भीतरघात से आहत पवैया का दर्द उभरा, बोले- चुनाव हारा हूं लेकिन मूल्य नहीं हारा

ग्वालियर। प्रदेश के निवर्तमान उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा है कि कुछ लोगों में ताकत होती है कि चुनाव की बाजी पलट दें, बाजी पलटी है, लेकिन उसके कारण अलग हैं, ऐसे चेहरे बेनकाब हो गए हैं। ऐसे लोगों को पार्टी छोड़ देनी चाहिए।

मंत्री जयभान सिंह पवैया ने गुरुवार को अपने बंगले पर पार्टी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करने के लिए आयोजित बैठक में भावुक होते हुए यह बात कही। पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा किए गए भीतरघात से आहत पवैया ने भाजपा के संस्थापक पं दीनदयाल उपाध्याय को चुनाव लड़ाए जाने के एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा कि अटल जी अपने जीवन में पांच चुनाव हारे थे। पं. दीनदयाल उपाध्याय को एक चुनाव जबरन लड़ाया गया, जबकि वे मना कर रहे थे। उनसे कहा गया कि चतुर्वेदियों की सभा हो रही है, आप एक अपील कर जाओ, आप भी चौबे हो। तब दीनदयालजी ने हाथ जोडकऱ कहा था कि अगर चौबे होने के कारण वोट दे रहे हो तो मुझे मत देना, मुझे तो भारत माता के बेटे के नाते वोट देना, यह चुनाव वे हार गए थे। उन्होंने कहा कि मैं चुनाव जरूर हार गया हूं, लेकिन मैंने जीवन के नैतिक मूल्य नहीं हारे हैं। यही मेरी पूंजी है।

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भगवा ओढकऱ जाऊंगा
उन्होंने कहा कि उनकी विचारधारा हिंदुत्व की रही है। मैं मरूंगा तो भगवा ओढकऱ जाऊंगा। हिंदुत्व पर चुनाव में लोगों ने समझाया कि वोटों पर असर पड़ेगा, बड़े नेताओं को इस पर खुलकर बोलना चाहिए। जयश्रीराम के नारे को नहीं छोड़ सकता, चाहे हारूं या जीतूं।

नेतृत्व कम आक्रामक रहा
चुनाव में पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आग उगल रहे थे, ऐसा लग रहा था कि सिंधिया का सबसे बड़ा दुश्मन मैं हूं। हमारे नेतृत्व को जिस आक्रामक मुद्रा में होना चाहिए था, वह देखने कम मिली, इससे पार्टी का नुकसान होता है।


सरकार की कुण्डली खराब
पवैया ने कहा कि इस सरकार की कितनी उमर होगी यह कुछ कहा नहीं जा सकता। यह पांच साल वाली सरकार नहीं है। कब क्या हो जाएगा भगवान के हाथ है, सरकार की कुण्डली बहुत खराब है। ये दंभ और अहंकार में कूदेंगे। यह बहुत कम उम्र वाली सरकार है। मैंने राजनीति और कुदरत के बड़े बड़े वज्रपातों को झेला है। राजनीति में कोई अंतिम पड़ाव नहीं होता है। मैं कार्यकर्ताओं को पीठ दिखाने वाला नेता नहीं हूं। हम पार्टी के लिए काम करते रहें और मजबूती के साथ खड़े रहे। न मैं अपमान का अनुभव कर रहा हूं और न ही मैने कोई ऐसा धतकर्म किया है, जिके कारण चुनाव हारने का रंज हो। आभार प्रदर्शन करते हुए मंडल अध्यक्ष ने कहा कि इस चुनाव में जयचंदों ने हार का सामना कराया है।


जीडीए और साडा अध्यक्ष ने नहीं दिया इस्तीफा
प्रदेश में भाजपा की करारी हार के बाद निगम, प्राधिकरण आदि में अध्यक्ष पद पर बैठे नेताओं ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है, लेकिन ग्वालियर में जीडीए के अध्यक्ष अभय चौधरी और साडा के अध्यक्ष राकेश जादौन ने अभी तक इस्तीफा नहीं सौंपा है। जबकि मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक समेत कई भाजपा नेताओं ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इसी क्रम में जन अभियान परिषद में शामिल आरके गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

अध्यक्ष भी खामोश
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने पार्टी की प्रदेश में हुई हार को अपनी जिम्मेदारी मानते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसको राष्ट्र्रीय अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया, लेकिन ग्वालियर शहर और ग्रामीण में भाजपा की करारी हार के बाद न तो भाजपा के शहर अध्यक्ष देवेश शर्मा ने इस्तीफा दिया है, न ही ग्रामीण जिला अध्यक्ष वीरेन्द्र जैन ने। जबकि जैन पर डबरा के हारे हुए भाजपा प्रत्याशी कप्तान सिंह सहसारी ने कई गंभीर आरोप लगाकर उनको हटाने की मांग की है।

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