उमड़ेगी भक्तों की भीड़
ग्वालियर-चंबल संभाग में यूं तो कई शिव मंदिर हैं, पर ग्वालियर शहर में बने अचलेश्वर मंदिर की बात ही कुछ ओर है। स्टेट के समय की अचल बाबा की इस पिंडी के दर्शन के लिए आम दिनों में श्रद्धालु की भीड़ जुटती है। भगवान भूतभावन यानी शिव की उपासना का पर्व महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाया जा रहा है। फाल्गुन महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है।
भगवान अचलनाथ मंदिर की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि सनातन धर्म मंदिर मार्ग के बीचों बीच बने बाबा अचलनाथ की पिंडी को भव्य मंदिर निर्माण के लिए अन्यत्र स्थापित करना चाहते थे। माना जाता है कि शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ। यहां तक कि पूरी फौज भी उसे खिसका नहीं सकी। इसलिए उनका नाम पड़ा अचलनाथ, यानी जो अचल है।
शि व मंदिरों में कोटेश्वर महादेव का मंदिर भी अपना खासा महत्व रखता है। इस प्राचीन मंदिर के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। ग्वालियर शहर के विनय नगर सेक्टर चार स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर पर वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
बताया जाता है कि कोटेश्वर महादेव का शिवलिंग ग्वालियर दुर्ग पर था। जब औरंगजेब ने ग्वालियर दुर्ग पर विजय प्राप्त की, दुर्ग पर लगी अन्य देवताओं की मूर्तियों के साथ ही कोटेश्वर महादेव का शिवलिंग भी नीचे फिंकवा दिया। बाद में इसी शिवलिंग को नीचे स्थापित किया गया। बाद में इस मंदिर को संवत 1937-38 में महाराजा जियाजीराव सिंधिया ने भव्यता प्रदान की।
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की रखवाली नागदेवता करते हैं और शिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं को दर्शन भी देते हैं। यहां पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।