लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ.भागीरथ प्रसाद के चुनाव में प्रचार के दौरान ग्राम छरेंटा में गोहद के तत्कालीन विधायक माखनलाल जाटव की हमलावरों ने १४ अप्रैल २००९ की शाम गोली मारकर हत्या कर दी थी। ०८ जुलाई २००९ को विधायक माखनलाल जाटव के बेटे रणवीर जाटव व अरविंद जाटव ने उच्च न्यायालय ग्वालियर में याचिका पेश की थी, जिसमें सीबीआई जांच की मांग की गई थी। चश्मदीद सूर्यभान सिंह गुर्जर उर्फ बंटी को छोड़कर शेष गवाहों ने अलग-अलग दिए गए शपथ पत्र के माध्यम से उच्च न्यायालय को बताया था कि लालसिंह आर्य वारदात के दौरान घटनास्थल पर मौजूद थे और उनके कहने पर ही हमलावरों ने उनके पिता माखनलाल जाटव पर गोलियां चलाईं।
माखनलाल जाटव हत्याकांड के प्रकरण में गवाह बनवारीलाल जाटव, श्रीपाल जाटव,देवेंद्र जाटव,अरविंद जाटव,रणवीर जाटव,शीला जाटव में से अरविंद जाटव,श्रीपाल जाटव व देवेंद्र जाटव पूर्व में पुलिस को दिए कथन पर न्यायालय में मुकर चुके हैं। गवाह बंटी गुर्जर के अधिवक्ता रामप्रताप सिंह कुशवाह इसके पूर्व २४ अक्टूबर २०१७ को न्यायालय में मुकर चुके गवाहों के हाईकोर्ट में दिए उन शपथपत्रों की प्रतियां पेश कर चुके हैं, जिनमें उन्होंने मंत्री लालसिंह आर्य को घटना में शामिल बताया था। इस घटना के विवेचक रहे तत्कालीन एसडीओपी गोहद रणधीर सिंह रूहल की गवाही होना अभी शेष है।
एडवोकेट रामप्रतापसिंह कुशवाह के अनुसार, विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता ने शासन से लालसिंह आर्य की न्यायालय में उपस्थिति को लेकर ०८ दिसंबर तक जवाब-तलब किया है। लाल सिंह आर्य की उपस्थिति के लिए न्यायालय ने १९ दिसंबर की तारीख तय की है।
विशेष न्यायालय भिण्ड द्वारा लाल सिंह आर्य की न्यायालय में उपस्थिति के लिए २४ अगस्त २०१७ को पहला जमानती वारंट जारी किया गया था। लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। दूसरा वारंट १४ सितंबर,तीसरा ०६ अक्टूबर, चौथा ०९ अक्टूबर, पांचवा २४ अक्टूबर और छठवां वारंट१० नवंबर २०१७ को जारी किया गया। इनमें से एक भी वारंट तामील नहीं हो सका।