ऐसी है भैरव बाबा की महिमा
बताया कि भैरव अष्टमी के दिन व्रत और पूजा उपासना करने से शत्रुओं का नाश होता है। इसके अलावा नकारात्मक शक्तियों का भी नाश होता है। इस दिन भैरव बाबा की विशेष पूजा-अर्चना करने से सभी पाप भी समाप्त होते हैं। इस दिन भैरव बाबा के दर्शन-पूजन शुभ फल देने वाला होता है। भगवान भैरव की महिमा अनेक शास्त्रों में मिलती है। भैरव जहां शिव के गण के रूप में जाने जाते हैं,वहीं वे दुर्गा के अनुचारी भी माने गए हैं। साथ ही भैरव बाबा की सवारी कुत्ता है। भैरव बाबा को चमेली के फूल प्रिय होने के कारण उपासना में इसका विशेष महत्व है।
साथ ही भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं और इनकी आराधना का खास समय मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता है। भैरव के नाम के जप मात्र से मनुष्य को कई रोगों से मुक्ति मिलती है। वे संतान को लंबी उम्र प्रदान करते हैं। अगर आप भूत-प्रेत बाधा, तांत्रिक क्रियाओं से परेशान है, तो आप शनिवार या मंगलवार कभी भी अपने घर में भैरव पाठ का वाचन कराने से समस्त कष्टों और परेशानियों से मुक्त हो सकते है।
kaal bhairav v mandir in gwalior ” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/11/18/bherav_baba_5383578-m.jpg”> ऐसे करें भैरव बाबा की पूजा
पंडित राधे महाराज ने बताया कि जन्मकुंडली में अगर आप मंगल ग्रह के दोषों से परेशान हैं तो भैरव की पूजा करके पत्रिका के दोषों का निवारण आसानी से कर सकते है। साथ ही राहु केतु के उपायों के लिए भी इनका पूजन करना अच्छा माना जाता है। भैरव की पूजा में काली उड़द और उड़द से बने मिष्ठान्न इमरती, दही बड़े, दूध और मेवा का भोग लगाना लाभकारी है। इससे भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं।
भैरव बाबा का होगा अभिषेक
शहर के सराफा बाजार के पास बने बाड़ा स्थित 117 वर्ष से भी अधिक प्राचीन प्राचीन भैरव बाबा का मंदिर है। इसे बच्छराज का बाड़ा नाम से भी जाना जाता है। यहां मंगलवार सुबह से ही भैरव मंदिर में पूजा पाठ शुरू हो जाएगा। साथ ही सुबह10 बजे भैरव का मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत से महाभिषेक किया जाएगा जो कि करीब डेढ़ घंटे तक चलेगा। भैरव अष्टमी को लेकर मंदिर को विशेष ढंग से सजाया भी गया है। मंदिर के पूजारी ने बताया कि यह मंदिर करीब 117 साल पुराना है।
भैरव अष्टमी के दिन सुबह उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नान कर स्वच्छ होना चाहिए। इसके बाद कालभैरव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन उपवास रखना भी शुभ फलदायी होता है। मध्यरात्रि में धूप,दीप,गंध, काले तिल,उड़द,सरसों तेल आदि से पूजा कर भैरव आरती करनी चाहिए। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ रात्रि जागरण का भी अधिक महत्व है। व्रत समाप्त होने पर सबसे पहले काले कुत्ते को भोग लगाना चाहिए।