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ग्वालियर

राजनीति करनी है तो श्रीकृष्ण के जैसी करो : जया किशोरी

– हरीशंकरपुरम में श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन

ग्वालियरNov 01, 2022 / 11:37 pm

Narendra Kuiya

राजनीति करनी हैं तो श्रीकृष्ण के जैसी करो : जया किशोरी

राजनीति करनी हैं तो श्रीकृष्ण के जैसी करो : जया किशोरी

ग्वालियर. मध्यप्रदेश में दूसरी बार और ग्वालियर में पहली बार श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करा रहीं विख्यात कथावाचिका जया किशोरी ने कहा है कि राजनीति बुरी नहीं हैं, लेकिन अगर राजनीति करनी हो तो श्रीकृष्ण की तरह करो। भगवान कृष्ण ने राजनीति की, लेकिन वे सदैव सच के साथ खड़े रहे। उन्होंने जैसे को तैसा जवाब दिया और दुष्टों के संहार के लिए उन्होंने नियमों को आड़े नहीं आने दिया, लेकिन आज जब राजनीति शब्द आता है तो लोगों के मन में नकारात्मक भाव उत्पन्न हो जाता है। बुधवार को भक्त प्रहलाद, अजामिल, जड़ भरत और भगवान के विश्वरूप चरित्र की कथा होगी। हरीशंकरपुरम गणेश पार्क के नजदीक स्थित भव्य पांडाल में श्रोताओं को संबोधित करते हुए जया किशोरी ने कहा कि इंसान बनने का अर्थ है कि व्यक्ति अपने साथ दूसरों के बारे में भी सोचें। आपकी वजह से किसी एक की जिंदगी भी संवर जाए तो आपका जीवन सफल है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जब दु:खी होता है तो ज्ञान की बातें समझ नहीं आती हैं। जया किशोरी ने कहा कि सिर्फ सुनने मात्र से व्यक्ति का कल्याण नहीं होता है। श्रवण के बाद चिंतन और मनन भी जरूरी है। मूर्ख हो या विद्वान सबको सुनना जरूरी है। समझदार के बोलने से यह पता चलता है कि हमें क्या करना हैं और मूर्ख के बोलने से यह पता चलता है कि हमें क्या नहीं करना हैं। उन्होंने कहा कि कम बोलने और ज्यादा सुनने में फायदा है, क्योंकि जो आपके पास है वो तो आपका है ही, दूसरों को सुनने से उसका भी आपको मिलता है।
किसी को गलत साबित करने मत करो सवाल
उन्होंने कहा कि हम प्रश्न तब करते हैं जब दूसरों को गलत साबित करना हो। जब किसी को नीचे दिखाने के लिए शुरूआत होती है, तो आप कभी सफल नहीं हो सकते हैं, जबकि अर्जुन ने गीता उपदेश सुनते वक्त भगवान श्रीकृष्ण से जो प्रश्न किए थे, उनके मूल में जिज्ञासा थी। उन्होंने कहा कि श्रवण से चिंतन और उससे जो सार मिले उसका मनन यानि उसे अपने जीवन में उतारना चाहिए। कथा सुनने जाएं तो कम से कम एक अच्छी बात जरूर जीवन में उतारे।
यह भी कहा
– बिना पूरी बात सुने किसी को वचन नहीं देना चाहिए।
– मृत्यलोक में दु:ख हैं, खुशियां आपको ढंूढनी हैं।
– आदमी व्यस्त कभी नहीं होता, उसे जो करना है, उसके लिए वो समय निकाल ही लेता है।
– कथा में भी लोग ज्ञान नहीं सुनना चाहते, सिर्फ आनंद लेना चाहते हैं।
– भगवान के 24 अवतार, हर अवतार हमें सीख देता है।
– भीष्म ने अंतिम क्षणों में भगवान का सामीप्य मांगा, आप भी मांग लो तो बेड़ा पार हो जाएगा।
– कोविड व्यक्ति के लिए बुरा लेकिन प्रकृति के लिए वरदान साबित हुआ।
– कलयुग में सिर्फ भगवान का नाम लेना काफी है।
– जीवन जीने हो तो ऐसा जिओ कि आपकी गलती पर भी लोग भरोसा न करें।
जीवन के सत्य का ज्ञान कराती है श्रीमद्भागवत कथा
रामलीला मैदान, मुरार में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तृतीय दिन का आरम्भ वैदिक मंत्रोच्चारण और प्रभु के जयकारे से प्रारम्भ हुआ। कथा व्यास आचार्य सतानंद महाराज ने कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडम्बना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निश्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। श्रीमद्भागवत कथा जीवन के सत्य का ज्ञान कराने के साथ ही धर्म और अधर्म के बीच के अंतर को बताती है।

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