शर्मा यहां राजपूत बोर्डिंग परिसर में हुए सपाक्स के स्वाभिमान सम्मेलन में सामान्य, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कर्मचारी-धिकारियों को संबोधित कर रहे थे। शर्मा सपाक्स के संरक्षक भी हैं। अपरोक्ष रूप से राजनीतिक दलों पर निशाना साधा। कहा जाति प्रथा को मिटाने की बजाय तुमने तो पूरे समाज को वर्ग संघर्ष में झोंक दिया। ब्राह्मण मतलब पाखंडी, राजपूत मतलब अत्याचारी, बनिया मतलब ठग तक कहा गया, लेकिन हमने विशाल हृदय करके अपमान स्वीकार किया।
दलित एजेंडा तो थोंपा गया
कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसके झंडे में दो रंग हैं और किसके झंडे में तीन। हमको-आपको ध्यान रखना है कि कैसे वर्ग संघर्ष की लड़ाई में झोंक दिया गया? कैसे दलित एजेंडे को थोप दिया गया?
कैसे गौचर की जमीनों को छीनकर राजनीतिक हवन कुंड में झोंक दिया गया? हमको फर्क पड़ता है कि जो आदमी कठिन संघर्ष करके केबल योग्यता के बल पर सेवा में आया। उन्होंने कहा कि हमको बिना किसी बैर के अपनी मांग ऐसे रखना है, जैसे एक बेटा अपनी मां के सामने रखता है।
सीधी बात,अपर सचिव, राजीव शर्मा, सपाक्स संरक्षक और नगरीय प्रशासन में
हमारी लड़ाई आरक्षण के खिलाफ नहीं, प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ है
पत्रिका: प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सपाक्स की यह लड़ाई कहां तक जाएगी?
राजीव: यह सब वोट का गणित है, अभी सरकार की राजनीतिक मजबूरियां हैं। अगर सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक सरकार को भरोसा दिला दें कि इधर भी संख्या बल है तो सब आसान हो जाएगा।
पत्रिका: यह लड़ाई अजाक्स बनाम सपाक्स है?
राजीव: नहीं। हम आरक्षण का विरोध नहीं कर रहे। केवल प्रमोशन में आरक्षण का विरोध है। जूनियर को सीनियर के सर पर बैठाने का विरोध है। आरक्षण एसएसी-एसटी के वाजिब हकदार लोगों को ही मिलना चाहिए।
पत्रिका: आप सरकार के खिलाफ मुखर हैं, सरकार के किसी कदम को लेकर आशंकित तो नहीं हैं?
राजीव: हम सरकार के किसी नियम का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। आरक्षण का विरोध भी नहीं कर रहे। प्रमोशन में आरक्षण का विरोध कर रहे हैं।
पत्रिका: सपाक्स के गठन के बाद सामान्य वर्ग केेे खुलकर सामने आएंगे?
राजीव: तीन महीने में हालात बहुत बदलेंगे।