ब्रज किशोर शर्मा ने दतिया के कलेक्टर संदीप माकिन के खिलाफ अवमानना याचिका (high court case status) दायर की। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि दतिया जिले के सेंवढ़ा के देवई गांव के मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण हो गया है और मंदिर में अव्यवस्थाएं फैली हैं। हाईकोर्ट (ग्वालियर बेंच) जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मंदिर की व्यवस्थाएं सुधारने का आदेश दिया था, लेकिन उस आदेश का अभी तक पालन नहीं किया गया।
कलेक्टर की ओर से जवाब दिया गया कि पुजारी व प्रबंधन का विवाद है। इसमें सिविल सूट दायर किया जा रहा है। कोर्ट ने यह तर्क लिखित में मांगा तो 13 मार्च का समय लिया। बुधवार को शासकीय अधिवक्ता आरके अवस्थी कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए।
कलेक्टर की ओर से जो पालन प्रतिवेदन लेकर आए, उसकी जानकारी से कोर्ट को अवगत नहीं करा पाए। दस्तावेज भी नहीं पढ़ पा रहे थे। कोर्ट ने पूछा, मंदिर की अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए क्या किया, लेकिन शासकीय अधिवक्ता नहीं बता पा रहे थे। दूसरे अधिवक्ता मदद के लिए खड़े हुए तो कोर्ट ने मना कर दिया। क्योंकि शासकीय अधिवक्ता की यह जिम्मेदारी थी। इस अवमानना याचिका की सुनवाई 20 मार्च को फिर से होगी।
– मध्य प्रदेश शासन के अधिकारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में अवमानना याचिका दायर हो रही हैं। अवमानना याचिका में नोटिस के बाद अधिकारी को अधिवक्ता की फीस का भुगतान करना पड़ता है। यदि अधिकारी बाहरी अधिवक्ता को नियुक्त नहीं करता है तो महाधिवक्ता कार्यालय से शासकीय अधिवक्ता को फाइल आवंटित होती है। शासकीय अधिवक्ता को 5 हजार 500 रुपए फीस अधिकारी से मिलती है।
– 5 हजार 500 रुपए की अतिरिक्त फीस के लिए शासकीय अधिवक्ता फाइल अपने नाम करा रहे थे। उसके बाद पैरवी के लिए अपने जूनियर या दूसरे वकीलों को भेजते थे। सोमवार को चीफ जस्टिस इस व्यवस्था पर आपत्ति कर रहे थे। शासकीय दस्तावेज एक बाहरी अधिवक्ता को कैसे दे रहे हैं।
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