scriptशहर की बदहाली पर कोर्ट की टिप्पणी: व्यक्ति का पेट खराब है, उसका चेहरा चमकाने में लगे हैं, वह कैसे सुंदर दिखेगा | gwalior high Court's comment at smart city project said vyakti pet kharab aur chehra chamkane me lage hain kaise sundar dikhega | Patrika News
ग्वालियर

शहर की बदहाली पर कोर्ट की टिप्पणी: व्यक्ति का पेट खराब है, उसका चेहरा चमकाने में लगे हैं, वह कैसे सुंदर दिखेगा

– सीवर सड़कों पर फैल रहा है, कचरा उठ नहीं रहा है, बल्ब और दीवारें रंग कर स्मार्ट सिटी बना रहे हैं
– 16 साल में 1600 करोड़ टैक्स वसूला, पर कचरा निस्तारण के लिए 32 करोड़ की मशीन नहीं लगा सके

ग्वालियरNov 23, 2023 / 08:22 am

Sanjana Kumar

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हाईकोर्ट की युगल पीठ ने नगर निगम व स्मार्ट सिटी को शहर की बदहाली के संबंध में बताया। कोर्ट ने नगर निगम व स्मार्ट सिटी के कार्यों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि व्यक्ति का पेट खराब है, लेकिन कॉस्मेटिक सामान लगाकर उसके चेहरे को चमकाने में लगे हो। वह कैसे सुंदर दिखेगा। शहर जगह-जगह सीवर फैल रहा है। सडक़ खराब है। कचरा उठाने की व्यवस्था ठीक नहीं है। दीवारें रंगने व बल्ब लगाने से सुंदरता नहीं दिखेगी। हमें स्मार्ट सिटी ही समझ में नहीं आई है। कोर्ट ने कहा कि 16 साल में 1600 करोड़ रुपए टैक्स वसूल लिया है, लेकिन कचरा निस्तारण के लिए 38 करोड़ की मशीन नहीं लगा पा रहे हैं। कोर्ट फटकार लगाते हुए कहा कि स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण के लिए जो फंड मांगा गया है, उसे शीघ्र जारी कराया जाए। अब याचिका पर 9 जनवरी को सुनवाई होगी। आयुक्त सहित अधिकारियों को सुनवाई के दौरान मौजूद रहना होगा।

नगर निगम के अधिवक्ता दीपक खोत ने कोर्ट को बताया कि स्वर्ण रेखा नदी के सौंदर्यीकरण का सर्वे कराया गया। पहले चरण में 561.762 करोड़ रुपए की जरूरत है। नदी के दोनों किनारों पर सीवर लाइन डाली जाएगी। इस सीवर लाइन में सहायक नालों को जोड़ा जाएगा। ताकि गंदा पानी स्वर्ण रेखा में न आए। स्टोर्म वाटर के लिए 63.42 करोड़ का प्रस्ताव है। प्रथम चरण में 625 .182 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस प्रस्ताव को नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत भेज दिया है। इसको लेकर कोर्ट ने कहा कि नमामी गंगे से जो फंड मिलेगा, अतिरिक्त फंड है। शहर में लोगों को अच्छी सुविधा मिल सके, वह उपलब्ध कराने का काम नगर निगम का है। इसके लिए राज्य शासन से फंड मांगा जाए।

शहर में बल्ब लगाए हैं, दो बंद रहते हैं एक उजाला करता है

– कोर्ट ने स्मार्ट सिटी ने शहर में किए विकास कार्य के बारे में पूछा तो बताया कि जून तक ही कार्य बचा है। हेरीटेज बिल्डिंगों का जीर्णोद्धार किया है। स्ट्रीट लाइटें लगाई हैं। कोर्ट शहर में सुंदरता के नाम पर सिर्फ बल्ब लगाए हैं, जिसमें दो बंद रहते हैं और एक जलता है। हाईकोर्ट रोड पर लगी लाइटों का उदाहरण दिया। इन लाइटों की जरूत नहीं थी, लेकिन पैसा बर्बाद कर दिया।

– कोर्ट ने कहा कि लैंड फिल साइट पर 6 लाख टन कचरा इकट्ठा है। हर दिन 450 टन कचरा केदारपुर की लैंड फिल साइट पर पहुंच रहा है। छह लाख टन कचरे को नष्ट करने के लिए एक मशीन लगाई है जो साल भर में कचरे को नष्ट करेगी। रोज कचरा जा रहा है, वह कैसे नष्ट होगा। वह भी इकट्ठा हो जाएगा। इसलिए एक और अतिरिक्त मशीन लगाई जाए।

– कोर्ट ने कहा कि आईएएस को जब ट्रेनिंग दी जाती है तो उसको बताया जाता है कि जनता के हित में कार्य करना है। दूसरों के लिए काम रहे हैं, लेकिन जनता के लिए कुछ अच्छा काम कीजिए।

 

हाईकोर्ट में लंबित जनहित याचिका

दरअसल विश्वजीत रतौनिया ने स्वर्ण रखा नदी को अपने मूल स्वरूप में लाने के लिए जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि स्वर्ण रेखा में कांक्रीट कर दी है, जिससे वाटर रीचार्ज सिस्टम खत्म हो गया है। साथ ही इसमें सीवर का पानी फैल रहा है। हाईकोर्ट नदी के सौंदर्यीकरण के लिए आदेश जारी किया है। बुधवार को सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह, स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर, अपर कलेक्टर, जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौजूद थे। निगम की ओर से पैरवी अधिवक्ता दीपक खोत ने की।

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