कैलाशनारायण (परिवर्तित नाम) का विवाद 2003 में हुआ था। विवाह के बाद एक बेटा व दो बेटियों का जन्म हुआ। पति ने यह कहते हुए कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में तलाक का आवेदन पेश किया कि तीसरी बेटी उसकी नहीं है। तीसरी बेटी का डीएनए कराया तो बेटी कैलाशनारायण की निकली। पत्नी तीनों बच्चों को झांसी लेकर चली गई। कुटुंब न्यायालय ने तलाक का आवेदन खारिज कर दिया। इसके खिलाफ पति ने तलाक के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की। यह अपील 2019 से हाईकोर्ट में लंबित है। इसी अपील में पत्नी ने भरण पोषण के लिए आवेदन लगाया। कोर्ट ने उसके आवेदन को स्वीकार कर 40 हजार रुपए हर महीने भरण पोषण का आदेश दिया है।