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ग्वालियर

बड़ा फैसलाः पत्नी-बच्चे भी वैसा ही जीवन जीएंगे, जैसा पति जी रहा है

ग्वालियर हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि पत्नी व बच्चे भी वैसा ही जीवन जीने का अधिकार रखते हैं, जैसा कि पति जी रहा है। पत्नी के साथ तीन बच्चे रह रहे हैं और उनकी पढाई व लिखाई का भारी खर्च है। पत्नी को जो वेतन मिलता है, उससे पूर्ति नहीं होती है।

ग्वालियरFeb 21, 2024 / 09:35 am

Manish Gite

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ग्वालियर हाईकोर्ट की युगल पीठ ने आइटीआइ कॉलेज में शिक्षक के वेतन से 40 हजार रुपए काटकर पत्नी के खाते में जमा करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि पत्नी व बच्चे भी वैसा ही जीवन जीने का अधिकार रखते हैं, जैसा कि पति जी रहा है। पत्नी के साथ तीन बच्चे रह रहे हैं और उनकी पढाई व लिखाई का भारी खर्च है। पत्नी को जो वेतन मिलता है, उससे पूर्ति नहीं होती है। आइटीआइ कॉलेज ग्वालियर के प्राचार्य को आदेश दिया है कि वेतन से रुपए काटकर पत्नी को दिए जाएं।

कैलाशनारायण (परिवर्तित नाम) का विवाद 2003 में हुआ था। विवाह के बाद एक बेटा व दो बेटियों का जन्म हुआ। पति ने यह कहते हुए कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में तलाक का आवेदन पेश किया कि तीसरी बेटी उसकी नहीं है। तीसरी बेटी का डीएनए कराया तो बेटी कैलाशनारायण की निकली। पत्नी तीनों बच्चों को झांसी लेकर चली गई। कुटुंब न्यायालय ने तलाक का आवेदन खारिज कर दिया। इसके खिलाफ पति ने तलाक के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की। यह अपील 2019 से हाईकोर्ट में लंबित है। इसी अपील में पत्नी ने भरण पोषण के लिए आवेदन लगाया। कोर्ट ने उसके आवेदन को स्वीकार कर 40 हजार रुपए हर महीने भरण पोषण का आदेश दिया है।

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