ग्वालियर। शहर का गूजरी महल अपने आप में बहुत खास है। ये महल एक राजा और उसकी प्रेमिका की अमर प्रेम कहानी का गवाह है। इस महल ने तोमर वंश के राजा मान सिंह और उनकी प्रेयशी रानी मृगनयनी के अटल अमर प्रेम को देखा है। इस महल के खम्बे मोहब्बत की बुनियाद पर खड़े हुए हैं। शहर के बाहर बनाया गया गूजरी महल राजा मानसिंह तोमर और उनकी गूजर पत्नी मृगनयनी के अमर प्रेम का प्रतीक है। कहा जाता है कि राजा मानसिंह किसी से जा रहे थे। उन्हें रास्ते में एक ग्वालन (मृगनयनी) दिखाई दी। ग्वालन बहुत ही सुंदर होने के साथ-साथ चतुर भी थी। अत राजा के मन में तुरंत भा गई।
राजा मानसिंह तोमर ने तुरंत ही मृगनयनी को अपनी पटरानी बनाने का निश्चय कर लिया। उनके इस निश्चय का काफी विरोध भी हुआ लेकिन उससे इन सबको दरनिकार कर विवाह किया। राजा ने अपनी नई रानी के लिए एक भव्य महल भी बनवाया। मृगनयनी के नीची जाति के होने के कारण लोगों ने विरोध किया जिस पर इस महल को ग्वालियर किले के बाहर बनाया गया।
अपने आप में अनूठा है गूजरी महल
गूजरी महल परंपरागत हिन्दू भवनों की तरह चौरस हैं जिसके बीच में बड़ा सा चौक और बाग है। यहां के खंभों तथा दीवारों पर नक्काशीदार काम किया गया है जो देखते ही मन मोह लेता है।
रानी के कहने पर डलवाई 55 किमी लम्बी पाइप लाइन
रानी मृगनयनी ग्वालियर से दूर राई गांव की रहने वाली थी। रानी जब ग्वालियर आई तो उन्हे यहां का पानी नहीं भाया, इस पर उन्होनें राजा को बोला की उन्हें अपने गांव से निकलने वाली सांक नदी का पानी चाहिए। तो राजा मानसिंह तोमर ने सांक नदी से गूजरी महल तक पाइप लाइन डलवाई। पाइप लाइन आज भी मौजूद है जो रानी के महल में है।
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