Ganga Dussehra 2018 : सालों बाद अधिक मास में मनेगा गंगा दशहरा,बन रहे हैं यह
योगइसी तरह वाचस्पति शास्त्री का कहना है कि गंगा दशहरा जून महीने में मनाया जाना शास्त्रों में उल्लेखित है। पुरुषोत्तम मास में कृष्ण पक्ष प्रथम पहले महीने को मानकर चलते है। शुक्ल पक्ष उतरते हुए महीने में गंगादशहरा पर्व को मनाया जाता है। वहीं अधिकतर पंडितों का कहना है कि इस वर्ष गंगा दशहरा २४ मई को मनाया जाएगा। स्कंदपुराण के अनुसार गंगा दशहरे के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए।
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इससे वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है और यदि कोई मनुष्य पवित्र नदी तक नहीं जा पाता तब वह अपने घर पास की किसी नदी पर स्नान करें। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को संवत्सर का मुख कहा गया है, इसलिए इस इस दिन दान और स्नान का ही अत्यधिक महत्व है। पंडित सतीश सोनी ने बताया कि इस दिन जप-तप,दान-पुण्य करना चाहिए।
शास्त्रों के मुताबिक ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष, दसवीं तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतीपत योग, गर करण,आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा, वृषभ राशि का सूर्य। इन दस योगों में गंगा दशहरा मनाने का विशेष फल है।
गंगा दशहरा पर्व पर शहर में अलग-अलग स्थानों पर धार्मिक संस्थाओं द्वारा गंगा दशहरा प र्व मनाते हुए पूजन- महाआरती की जाएगी। श्रद्धालुगण इसदिन ब्रह़्म मुहूर्त में अभिषेक करेंगे। इसके बाद मां गंगे का श्रृंगार और शाम को महाआरती का आयोजन किया गया।
ज्योतिर्विद रामेश्वर शास्त्री के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को संवत्सर का मुख कहा गया है। इसलिए इस दिन दान और स्नान का अत्यधिक महत्व है। वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी,बुधवार के दिन,हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से धरती पर गंगा का अवतरण भी हुआ था। उन्होंने बताया कि गंगा दशहरा पर नदी में स्नान करने से 10 प्रकार के पाप नष्ट होते हैं।10 पापों में 3 कायिक,4 वाचिक और 3 मानसिक पाप होते हैं। गंगा स्नान से इन सभी पापों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
ज्योतिर्विद के अनुसार गंगा दशहरा 24 मई को मनाना शास्त्र सम्मत है। गंगा दशहरे के दिन मां गंगा का हस्त नक्षत्र और दशमी के दिन पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। लिहाजा इस दिन गंगा स्नान कर दानपुण्य करने से महा पुण्य फल की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा पर यदि कोई मनुष्य गंगा तक जाने में असमर्थ है तो अपने घर के पास किसी नदी या तालाब में गंगा मैया का ध्यान करते हुए स्नान कर सकता है। गंगा जी का ध्यान करते हुए षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। इससे उसके जीवन में कई सारे लाभ देखे जा सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य राघवेंद्र शर्मा के अनुसार ज्येष्ठ मास,शुक्ल पक्ष,दशमी तिथि,बुधवार,हस्त नक्षत्र,व्यती-पाद योग,गर-करण,आनंद योग, कन्या राशि में चंद्र और वृषभ राशि में सूर्य आदि योगों से दशहरा बनता है। गंगा दशहरा पर्व में कन्या राशि में चंद्र,वृषभ राशि में सूर्य की प्रधानता रहती है। इस वर्ष 24 मई को पूर्वाहण व्यापिनी प्रथम ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी के दिन चंद्र कन्या में और सूर्य वृषभ राशि में होंगे।