ज्योतिषाचार्यो के अनुसार वृश्चिक राशि में 141 दिन वक्रीय होने के बाद शनि देव 25 अगस्त से मार्गीय हो रहे हैं। इससे गणेश चतुर्थी से सभी राशि जातकों को शनि के प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं समाज में धर्म और सकारात्मकता का प्रसार होगा। इस बार के गणेश उत्सव में खास बात ये रहेगी कि भक्तों के प्रिय भगवान गजानन ११ दिनों तक भक्तों के घरों मेंं मेहमान बनकर रहेंगे।
गजकेसरी योग में विराजेंगे श्रीजी
ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष 25 अगस्त को गणपति विराजित होंगे। हस्त नक्षत्र में रवि योग, गज केसरी योग बनने से भक्तों के लिए यह विशेष फलदायी रहेगा। इस दिन श्री गणेश की आराधना करने से छात्रों को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होगी। वहीं लोगों को शीघ्र कर्मफल मिलेगा। इस बार दशमी का एक दिन बढऩे से गणेश जी का जल विहार 12वें दिन 5 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा।
ऐसे जन्म हुआ था भगवान गणेश का
पुराणों के अनुसार देवी पार्वती के पसीने से बालक गणेश उत्पन्न हुए थे। माता उन्हें द्वार पर खड़ा करके स्नान करने गई थीं। भगवान शिव वहां आए तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इस पर क्रोधित होकर शिव ने उनकी गर्दन काट दी। पार्वती के विलाप करने पर भगवान शिव ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का मस्तक जोड़ दिया इसलिए इन्हें गजानन भी कहा जाता है।
शहर में बिराजेंगे २६ फीट के लाल बाग के महाराज
गणेश चतुर्थी का पर्व 25 अगस्त को है और इस उत्सव को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। शहर में श्रीजी की प्रतिमाओं को स्थापित करने की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। शहर में विभिन्न स्थानों पर गणेश मंडलों की ओर से विराजित की जा रही प्रतिमाओं में भगवान गणेश भक्तों को विभिन्न रूपों में दर्शन देंगे।
मिट्टी से बनवाई जा रहीं प्रतिमा
दौलतगंज में पहली बार २६ फुट के गणेश जी की प्रतिमा नागेश्वर मंदिर दौलतगंज के समीप स्थापित की जाएगी। इस बारे में रुद्र क्लब के अध्यक्ष लोकेश शर्मा ने बताया कि लाल बाग के राजा के रूप में मूर्ति को जीवाजी गंज में पूर्णत: मिट्टी से तैयार करवाया जा रहा है। जिसकी लागत लगभग ८० हजार रूपए आंकी जा रही है।
सिंहासन पर विराजमान होंगे राजा गणेश
अचलेश्वर न्यास की ओर से तैयार की जा रही राजा गणेश प्रतिमा शहर की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। जिसका निर्माण मंदिर परिसर में ही लंबे समय से करवाया जा रहा है। न्यास के अध्यक्ष हरीदास अग्रवाल ने बताया कि मूर्ति की लंबाई लगभग १८ से २० फीट है। जिसकी लागत लगभग ७० हजार रुपए है। मूर्ति को पूरी तरह मिट्टी से तैयार किया जा रहा है।
विश्राम मुद्रा में देंगे दर्शन
यंग हिंद क्लब द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्राम मुद्रा में लगभग १५ फीट की मूर्ति तैयार करवाई जा रही है। जिसकी लागत लगभग 21 हजार रूपए बताई जा रही है। क्लब के संरक्षक मंडल के सदस्य मनोज जायसवाल एवं चित्रगुप्त अस्थाना ने बताया कि मूर्ति स्थापना के साथ ही इस बार शहर में पहली बार बच्चों के लिए एक सरप्राइज झूला भी लगवाया जाएगा।
कहां होगा विसर्जन
शहर में जहां एक ओर श्रीजी के आगमन की तैयारियां की जा रही हैं, वहीं दूसरी और इतनी बड़ी मूर्तियों के विसर्जन का संकट भी सामने दिखाई दे रहा है। प्रशासन का अभी इस ओर ध्यान नहीं है। सभी संगठनों से बातचीत करने पर सबका कहना है कि हम तो सागर ताल में मूर्ति का विसर्जन करेंगें। लेकिन क्या सागर ताल में इतना पानी है जिसमें विसर्जन हो सके।