क्या है एसपीजी
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) का गठन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद किया गया था। इनके पास प्रधानमंत्री,पूर्व प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री के परिजनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। इससे पहले पीएम दिल्ली पुलिस की सुरक्षा में रहते थे। एसपीजी में 3 हजार से ज्यादा जवान है। इनमें बीएसएफ,सीआईएसएफ और अन्य फोर्स के जवान शामिल होते हैं। भारत के प्रधानमंत्री, उनका परिवार तथा पूर्व प्रधानमंत्रीगण, पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा, इस विशेष सुरक्षा टुकड़ी की ज़िम्मेदार होती है। एसपीजी जवानों का चयन पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स से किया जाता है। यह विशिष्ट बल सीधे केंद्र सरकार के मंत्रिमण्डलीय सचिवालय के अधीन है, और आईबी के अंतर्गत उसके एक विभाग के रूप में कार्य करती है।
SPG कमांडोज एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं । बताया जाता है कि ये AK 47 से चलाई गई गोली को भी झेल सकती है। ये कमांडोज ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं और इनके पास ग्लॉक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है। अपनी ड्यूटी के दौरान आपस में साथी साथी कमांडो से बात करने के लिए ये कान में लगे ईयर प्लग का सहारा लेते हैं। ये कमांडोज खास किस्म का चश्मा भी पहनते हैं, जो उन्हें किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं होने देता हैं और उन्हें हमले के दौरान सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।
एसपीजी के जवान, प्रधानमंत्री को 24 घंटे एक विशेष सुरक्षा घेरा प्रदान करते है तथा उनकी अंगरक्षा,अनुरक्षण एवं उनके आवासों, विमानों और वाहनों की सुरक्षा, आरक्षा एवं अनुरक्षणिक जाँच प्रदान करती है। एसपीजी के जवानों को सुरक्षा, अंगरक्षा, अनुरक्षण एवं अनुरक्षणिक जाँच हेतु विशेष एवं पेशेवर परिक्षण, उपकरण और पोषक प्रदान की जाती है तथा दृढ अनुशासन में रखा जाता है ताकि प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने में वे लोग पूर्णतः सक्षम रहें।
पूर्वी पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई थी इस बल की जरुरत
प्रधानमंत्री की अंगरक्षा हेतु एक विशेष सुरक्षा दल की आवश्यकता पहली बार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद महसूस हुई थी, तत्पश्चात्, 1988 में एसपीजी को आईबी की एक विशेष अंग के रूप में, सीधे केंद्र सरकार के अंतर्गत एक सुरक्षा टुकड़ी के रूप में गठित किया गया था। एसपीजी के गठन से पूर्व 1989 से पहले राष्ट्रीय राजधानी में, प्रधानमंत्री की सुरक्षा दिल्ली पुलिस की एक विशेष अंग के अंतर्गत थी।
गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाए पर हाईकोर्ट में PILदाखिल
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एवं महासचिव प्रियंका गांधी की एसपीजी (एसपीजी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) सुरक्षा वापस लिए जाने पर इसे फिर से बहाल किए जाने के निर्देश दिए जाने की मांग को करते हुए उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर में जनहित याचिका 11 नवंबर प्रस्तुत की गई है। इस याचिका पर 15 नवंबर को सुनवाई होगी। एडवोकेट उमेश कुमार बोहरे द्वारा प्रस्तुत याचिका में कहा गया कि गृह मंत्रालय द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद उन्हें अब जेड प्लस सुरक्षा दी जाएगी। याचिका में पत्रिका में 9 नवंबर 2019 को प्रकाशित गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने की खबर को आधार बनाया गया है। याचिका में प्रमुख सचिव प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह विभाग के सचिव, निदेशक गृह मंत्रालय भारत सरकार,सचिव रक्षा मंत्रालय को पार्टी बनाया गया है।
1981 में पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी डिप्टी पुलिस कमिश्नर दिल्ली के पास थी। बाद में इंटेलीजेंस ब्यूरो द्वारा स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद सरकार ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कमेटी गठित की थी। इस कमेटी की सिफारिश पर स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का गठन किया गया। 2 जून 1988 को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप एक्ट लागू किया गया जिसकी धारा 4 के अंतर्गत देश के प्रधानमंत्री एवं उनके परिवार के सदस्यों को एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाती है एवं पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों को दस साल के लिए पद से हटने के बाद तक तथा किसी पूर्व प्रधानमंत्री या उनके परिवार के किसी सदस्य को धमकी दिए जाने की स्थिति में दस वर्ष के बाद भी एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाती है। वर्ष 2003 में दस वर्ष की सीमा को एक साल कर दिया गया। अभी तक यह सुविधा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी दी जाती थी लेकिन अगस्त 2019 में उनकी सुरक्षा भी हटा ली थी।