विधानसभा चुनाव 2023 के मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी। इस दिन प्रत्याशियों की हार जीत के साथ-साथ सरकार की भी तस्वीर साफ हो जाएगा। सरकार बनने के बाद मंत्री पद के लिए खींचतान शुरू होगी। भाजपा व कांग्रेस में मंत्री पद के दावेदारों की संख्या अधिक है। ज्ञात है कि 2018 में बनी कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में तीन मंत्री ग्वालियर से थे। 2020 के बाद से भाजपा सरकार में दो मंत्री हैं।
भाजपा में मंत्री पद की दावेदारी की स्थिति – 2018 में कांग्रेस ने जिले के तीन विधायकों को मंत्री बनाया था। जिसमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, लाखन सिंह शामिल थे। 2020 में कांग्रेस की सरकार गिर गई। भाजपा की सरकार बनी। भाजपा ने प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, भारत सिंह को मंत्री बनाया, लेकिन उप चुनाव हारने की वजह से इमरती देवी का मंत्री पद चला गया। प्रद्युम्न सिंह तोमर व भारत सिंह के पास मंत्री पद रहा। दो मंत्री थे।
– 2023 के चुनाव में प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, माया सिंह, भारत सिंह कुशवाह, नारायण सिंह कुशवाह ने चुनाव लड़ा है। माया सिंह व नारायण सिंह 2018 तक मंत्री रहे हैं। प्रद्युम्न सिंह व भारत सिंह वर्तमान में मंत्री हैं। इमरती देवी, भारत सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, माया सिंह, नारायण सिंह की भाजपा सरकार में मंत्री पद की दावेदारी रहेगी। इनके समर्थक मंत्री पद की दावेदारी भी देख रहे हैं।
– भितरवार से भाजपा उम्मीदवार मोहन सिंह राठौर पहली बार चुनाव लड़े हैं। कांग्रेस में दावेदारी की स्थिति – भितरवार से कांग्रेस उम्मीदवार लाखन सिंह जिले में सबसे वरिष्ठ विधायक हैं। 2018 में मंत्री भी रहे हैं। प्रवीण पाठक फिर से जीतते हैं तो दूसरे बार के विधायक होंगे। इधर सतीश सिकरवार भी जीतते हैं तो दूसरी बार के विधायक होंगे। इन तीनों उम्मीदवारों की मंत्री पद की दावेदारी है।
– यदि कांग्रेस मंत्री पद में जातीय समीकरणों को देखती है तो प्रवीण पाठक की दावेदारी मजबूत होगी। अंचल में ये ब्राह्मण चेहरा हैं। – अंचल में कांग्रेस के पास केपी सिंह व गोविंद सिंह क्षत्रीय चेहरे है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। इन्हें मंत्री मंडल में जगह मिलती है तो सतीश सिकरवार के लिए रोडा आ सकता है।
– आरक्षित सीट में मंत्री पद दिया जाता है तो सुरेश राजे का भी नंबर लग सकता है।