ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार भिण्ड जिले में इस सिद्ध शक्तिपीठ वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण दिल्ली के तत्कालीन शासक पृथ्वीराज चौहान द्वारा महोबा के राजा आल्हा और उदल से युद्ध करने जाते वक्त बनवाया था। ग्रामीणों ने बताया कि चौहान द्वारा शिव पूजन पश्चात अन्न-जल ग्रहण करने का संकल्प लिया था,जब उन्होंने इस स्थान पर पड़ाव डाला तब लिए गए नियम की पूर्ति के लिए वनखंडेश्वर में शिवलिंग की स्थापना कराई गई। इसके बाद से ही सिद्ध पीठ पर अखंड ज्योति प्रज्वलित है। यहां दो दीपक निरंतर जलते रहते हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि जिस स्थान पर निरंतर 12 वर्ष तक अखंड ज्योति, पाठ, भजन-कीर्तन, आरती की प्रक्रिया चलती है वह सिद्धपीठ बन जाती है।
21 फरवरी शिवरात्री के महापर्व पर वनखंडेश्वर महादेव मंदिर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन के मद्देनजर जहां एक प्रशासन और पुलिस द्वारा व्यवस्थाएं बनाए रखने के इंतजाम है। वहीं दूसरी ओर मंदिर प्रबंधन द्वारा मंदिर की साज- सज्जा सहित अन्य सुविधाएं जुटाने के लिए विशेष रूप से तैयारियां दो दिन पहले ही शुरू कर दी थी।
बताया जाता है कि देवाधिदेव भगवान शिव का अभिषेक गंगाजल से किया जाता है। इसके लिए कांवरिए सिंगी रामपुर से गंगाजल लेकर आते हैं। मान्यता है वनखंडेश्वर महादेव मंदिर पर पूजा अर्चना करने से मनचाही मुराद पूरी होती है। यह भी माना जाता है कि मंदिर में कोई झूठी कसम नहीं खाता है और जो ऐसा करता है उसके साथ अनहोनी घटित होती है।
महाशिवरात्री पर्व को लेकर शहर के अचलेश्वर महादेव मंदिर,कोटेश्वर महादेव, भूतेश्वर महादेव,मर्काडेंश्वर महादेव सहित शहर के अन्य मंदिरों पर भी हजारों की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने पहुंचे। इस दौरान सुरक्षा को लेकर पुलिस भी मुस्तैद रही।