14 दिन में मिलनी चाहिए रिपोर्ट, देर से आने पर मिलावटखोरों को मिलती है मदद
-खाद्य विभाग दूध, दही, पनीर, मावा आदि सामग्री के नमूने ले रहा है, उसकी रिपोर्ट भोपाल स्थित लैब में भेजी जाती है। यह रिपोर्ट 14 दिन में मिल जानी चाहिए, लेकिन भोपाल लैब से औसतन छह महीने से सालभर का समय लग जाता है। सैंपल छह महीने से सालभर तक बोतल में बंद रखा रहता है। इससे सैंपल की वैधता को कोर्ट में चुनौती मिलती है। इस आधार पर जुर्माने घट जाते हैं या आदेश निरस्त कर वापस भेजे जाते हैं।-हर महीने जुर्माने की कार्रवाई हो रही है, लेकिन मिलावटखोर जुर्माने के हर आदेश से संतुष्ट नहीं है। इस कारण जिला एवं सत्र न्यायालय में मामले पहुंच रहे हैं।
- मानव जीवन के लिए खतरनाक पदार्थ के मामले में परिवाद पेश किया जाता है। मिलावटखोरों को अभियोजन का सामना करना होता है। लाखों रुपए के जुर्माने घटकर 25 से 35 हजार रुपए रह जातें हैं।