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ग्वालियर

16 महीने बाद भी नहीं आई फरवरी 2023 में लिए 39 सैंपलों की रिपोर्ट

अंचल में मिलावटखोरी रोकने के लिए अभियान चलाया

ग्वालियरJun 11, 2024 / 06:17 pm

Rahul Thakur

कैसे रुकेगी मिलावटखोरी…रिपोर्ट के लिए स्मरण पत्र भेज रहे अधिकारी

ग्वालियर. अंचल में मिलावटखोरी रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। डेयरी सहित अन्य खाद्य संस्थानों से नमूने लेकर जांच के लिए भोपाल भेजे जा रहे हैं। लेकिन सैंपल की जांच रिपोर्ट समय पर नहीं आ रही है। इसके चलते मिलावटखोरी पर लगाम नहीं लग रही है। क्योंकि देर से सैंपल आने पर जुर्माने के आदेश न्यायालय में बदल जाते हैं। फरवरी-मार्च 2023 में लिए 39 सैंपल की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। 16 महीने पहले सैंपल होली के त्योहार को देखते हुए लिए गए थे। इसमें मावा, पनीर, दही, दूध व मिठाई, मसाला, तेल के सैंपल शामिल हैं। इन सैंपलों की रिपोर्ट लेने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग रिमाइंडर भेज रहा है, जिससे रिपोर्ट मिल सके।
ग्वालियर की फूड लैब तैयार नहीं हो सकी है। इसके चलते सैंपल को जांच के लिए भोपाल भेजा जाता है। इस लैब पर पूरे प्रदेश के सैंपलों का भार है। इस कारण समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पाती है। होली पर लिए सैंपल की रिपोर्ट रक्षा बंधन पर आती है और रक्षा बंधन की रिपोर्ट दीपावली पर मिलती है। 2023 की होली पर लिए सैंपल की रिपोर्ट 2024 की होली निकलने के बाद भी नहीं मिली है। खाद्य सुरक्षा विभाग के उड़न दस्ता प्रभारी लोकेंद्र ङ्क्षसह का कहना है कि सैंपल की रिपोर्ट के लिए स्मरण पत्र भेज रहे हैं।

14 दिन में मिलनी चाहिए रिपोर्ट, देर से आने पर मिलावटखोरों को मिलती है मदद

-खाद्य विभाग दूध, दही, पनीर, मावा आदि सामग्री के नमूने ले रहा है, उसकी रिपोर्ट भोपाल स्थित लैब में भेजी जाती है। यह रिपोर्ट 14 दिन में मिल जानी चाहिए, लेकिन भोपाल लैब से औसतन छह महीने से सालभर का समय लग जाता है। सैंपल छह महीने से सालभर तक बोतल में बंद रखा रहता है। इससे सैंपल की वैधता को कोर्ट में चुनौती मिलती है। इस आधार पर जुर्माने घट जाते हैं या आदेश निरस्त कर वापस भेजे जाते हैं।
-हर महीने जुर्माने की कार्रवाई हो रही है, लेकिन मिलावटखोर जुर्माने के हर आदेश से संतुष्ट नहीं है। इस कारण जिला एवं सत्र न्यायालय में मामले पहुंच रहे हैं।
  • मानव जीवन के लिए खतरनाक पदार्थ के मामले में परिवाद पेश किया जाता है। मिलावटखोरों को अभियोजन का सामना करना होता है। लाखों रुपए के जुर्माने घटकर 25 से 35 हजार रुपए रह जातें हैं।


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