ग्वालियर। ड्रोन से अवैध माइनिंग पर निगरानी की सुगबुगाहट की तैयारी चल रही है। हालांकि इस बात पर अभी मतभेद है कि इसकी मॉनीटरिंग की जवाबदेही किस विभाग की होगी। दरअसल अवैध माइनिंग का ये खेल राजस्व और जंगल दोनों महकमों से जुड़ा है।
ड्रोन के जरिए रेत हो या पत्थर किसी भी प्रकार की अवैध माइनिंग की सीधी नजर रखी जा सकती है। फिलहाल वनरक्षक की मौत के बाद एक बार फिर शासन ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। इसको लेकर खनिज और वन विभागों से राय मांगी जा रही है। इसका एक बार उपयोग किया भी जा चुका है।
खासतौर पर भिंड और दतिया के बीच सिंध नदी पर अवैध माइनिंग को लेकर राज्य शासन ने वर्ष २०१५ में ड्रोन के जरिए सर्वे कराया था। सर्वे में काफी मात्रा में अवैध माइनिंग की बात की पुष्टि हुई थी। बाद में धरातल पर कुछ कार्रवाई की। फिर इसके उपयोग और प्रभावी कार्रवाई की बात आई-गई होकर रह गई।
वहीं विभाग ने अवैध माइनिंग रोकने के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा शुरू की है। इन उपायों को लेकर फिलहाल गोपनीयता बरती जा रही है। हालांकि वन विभाग पर अफसरों और कर्मचारियों का अवैध माइनिंग के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने का दबाव बनता जा रहा है। खनन एवं भौमिकी संचालक विनोद बागड़े ने बताया कि ड्रोन के जरिए अवैध माइनिंग से निगरानी कीे जा सकती है। हालांकि इस मामले में कोई भी निर्णय शासन स्तर पर लिया जाता है। इस संदर्भ में स्थानीय स्तर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
इधर, घाटीगांव में खदानों को भरने बारह घंटे चल रहे बुल्डोजर
अवैध माइनिंग की संभावनाओं को समाप्त करने घाटीगांव परिक्षेत्र में रविवार को भी बुल्डोजर के जरिए खदानों को पत्थरों के टुकड़ों और मिट्टी से भरने का काम जारी रहा। खास तौर पर ये काम उत्तर घाटीगांव में प्रभावी तौर पर किया जा रहा है।
दरअसल यहां अवैध खननकर्ताओं ने करीब चार हजार सेअधिक छोटी-बड़ी खदानें खोद डाली हैं। जानकारों का कहना है कि हर साल 70-80 नई खदानें खोद दी जाती हैं। फिलहाल वन विभाग ने इस काम में समूची ताकत झौंक रखी है। विभागीय अफसरों की मंशा है कि उन खदानों को पहले बंद किया जाए, जिन्हें खुला छोडऩे पर फिर अवैध माइनिंग हो सकती है। खदानों को भरने के लिए करीब दस बुल्डोजर नुमा मशीनें लगा रखी हैं। जानकारी के मुताबिक अवैध खनन क्षेत्रों को भरने के लिए ये कार्रवाई तीस मार्च तक चलनी है। लिहाजा घाटीगांव में इन दिनों वन विभाग के अफसरों की आवाजाही सुबह से लेकर देर शाम तक जारी रहती है। डीएफओ विक्रम सिंह के मुताबिक अवैध खनन से बने गड्ढों को भरने की कार्रवाई को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है। इसके बाद फिर हम किसी अन्य कार्रवाई की रणनति को प्रभावी रूप दे पाएंगे।
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