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ग्वालियर

डीआरएम बताएं क्या यही है रेलवे का विकास

भिण्ड से इटावा के बीच दो स्टेशन पड़ते हैं। एक फूप, दूसरा उदी मोड। दोनों ही स्टेशन बीहड़ के विकास की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं, पर दोनों में से एक पर भी यात्री सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा गया है। यात्रियों को बैठने के लिए बेंच तक नहीं है।

ग्वालियरMar 06, 2016 / 01:44 am

rishi jaiswal

ग्वालियर। रेलवे भिण्ड से इटावा 36.4 किमी का सफर 14 साल में पूरा कर पाई। 27 फरवरी 16 को भिण्ड-इटावा के बीच यात्री ट्रेन भी चालू कर दी गई। इसके बाद भी इन 14 सालों में यात्री सुविधाओं को पूरा करने पर ध्यान नहीं दिया गया। स्टेशन पर रोजाना सैकड़ों यात्रियों की आवाजाही हो रही है,परंतु स्टेशनों पर यात्रियों की मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। एक यात्री ने डीआरएम को ट्वीट करके रेलवे के विकासÓ पर सवाल खड़ा कर दिया है।
भिण्ड से इटावा के बीच दो स्टेशन पड़ते हैं। एक फूप, दूसरा उदी मोड। दोनों ही स्टेशन बीहड़ के विकास की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। पर दोनों में से एक पर भी यात्री सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा गया है। यात्रियों को बैठने के लिए बेंच तक नहीं है। रेल की पटरियों या फिर जमीन पर बैठकर बुजुर्ग से लेकर महिला, जवान ट्रेन का इंतजार करते हैं। एक यात्री अभिषेक भदौरिया ने डीआरएम झांसी डिवीजन को ट्वीट पर एक फोटो भेजा। उसमें डीआरएम से पूछा है कि नया नवेला स्टेशन होने के बावजूद बुजुर्गों के बैठने के लिए एक बेंच तक नहीं। यह रेलवे का विकास है सरजीÓ। ट्वीट मिलने के बाद डीआरएम सफाई तो नहीं दे पाए, लेकिन अपने जवाब में झांसी मंडल के सीनियर डीपीओ से संपर्क करने की सलाह जरूर दे दी।

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