पहले जब उससे पूछा गया कि उसने इस घटना को अंजाम दिया, तो उसने इंकार कर दिया। जब पूछा गया कि घटना की रात उसे वहां से गुजरते देखा गया था, इसका उसने खंडन किया। जब पूछा गया कि उसके कपड़ों से मृत बालिका का रक्त मिला है, तब वह शांत हो गया। एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि घटना वाले दिन वह डबरा में था। जो कपड़े पुलिस ने बरामद किए हैं, क्या वह तुम्हारे हैं, इस पर वह बोला हां, यह कपड़े मेरे हैं, यह कपड़े पुलिस ने उसके घर से बरामद किए थे।
आरोपी से पूछा गया कि, क्या उससे जेल में कोई मिलने आया था, तो वह बोला कोई नहीं। उसके परिवार में कौन-कौन है, इस पर उसने बताया, माता-पिता। उससे पूछा कि, कहां रहते हो, और तुम्हारा मकान कैसे टूटा, तो वह बोला कि में मांढरे की माता के मंदिर के पीछे रहता हूं, इस घटना के विरोध में उसका मकान तोड़ दिया गया है, उसे नहीं पता कि उसके माता-पिता कहां हैं। उसने कहा कि, वह सावरकर सरोवर पर ठेला लगाता था, इसलिए पुलिस वाले जानते थे।
आरोपी से जब पूछा गया कि क्या उसे अपने बचाव में कुछ कहना है, तो उसने इंकार कर दिया। सवालों के दौरान वह स्वीकार कर गया कि घटना के समय वह शराब के नशे में था।
आरोपी पर लोगों का आक्रोश न फूटे, इसलिए अदालत परिसर को छावनी बना दिया गया था। उसे सुरक्षा घेरे में अदालत कक्ष में ले जाया गया। इसके बाद बंद कक्ष में सुनवाई चली। अधिकांश सवालों के जवाब उसने हां, न में दिए।