ग्वालियर

पहले करता रहा हर आरोप से इनकार, जब पूछा-गुनाह का पछतावा नहीं है, तो टूट गया दरिंदा

जब उससे पूछा गया कि एक मासूम बालिका के साथ जो किया, उसके लिए उसे कोई पछतावा नहीं है, तो स्वीकारोक्ति करते हुए वह बोल पड़ा, हां मुझे पछतावा है

ग्वालियरJul 21, 2018 / 01:02 am

Rahul rai

पहले करता रहा हर आरोप से इनकार, जब पूछा-गुनाह का पछतावा नहीं है, तो टूट गया दरिंदा

ग्वालियर। मासूम बालिका से दुष्कृत्य कर हत्या करने का आरोपी जीतेन्द्र कुशवाह अदालत में हर सवाल को नकारता रहा, लेकिन जब उससे पूछा गया कि एक मासूम बालिका के साथ जो किया, उसके लिए उसे कोई पछतावा नहीं है, तो स्वीकारोक्ति करते हुए वह बोल पड़ा, हां मुझे पछतावा है, किन्तु उसने एक बार भी न्यायालय से माफी के लिए कोई विनय नहीं की। इस मामले में अब सोमवार को फायनल बहस होगी। इसके बाद प्रकरण फैसले के लिए लगाया जाएगा।
 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अर्चना सिंह की अदालत में भारी सुरक्षा के बीच सुबह पौने ग्यारह बजे लाए गए आरोपी जीतेन्द्र कु शवाह से अदालत में 484 सवाल पूछे गए। आरोपी की ओर से पैरवी के लिए विधि प्रकोष्ठ द्वारा नियुक्त एडवोकेट राजेन्द्र गुर्जर ने उसका बचाव किया।
 

शासन की ओर से अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी अनिल कुमार मिश्रा तथा मृतक बालिका के पिता की ओर से एडवोकेट सोमवीर सिंह यादव ने आरोपी से कई सवाल किए। आरोपीबेखौफ जवाब दे रहा था।
 

करता रहा इनकार, कहा डबरा में था
पहले जब उससे पूछा गया कि उसने इस घटना को अंजाम दिया, तो उसने इंकार कर दिया। जब पूछा गया कि घटना की रात उसे वहां से गुजरते देखा गया था, इसका उसने खंडन किया। जब पूछा गया कि उसके कपड़ों से मृत बालिका का रक्त मिला है, तब वह शांत हो गया। एक सवाल के जवाब में उसने कहा कि घटना वाले दिन वह डबरा में था। जो कपड़े पुलिस ने बरामद किए हैं, क्या वह तुम्हारे हैं, इस पर वह बोला हां, यह कपड़े मेरे हैं, यह कपड़े पुलिस ने उसके घर से बरामद किए थे।
 

मेरे कारण टूट गया मकान
आरोपी से पूछा गया कि, क्या उससे जेल में कोई मिलने आया था, तो वह बोला कोई नहीं। उसके परिवार में कौन-कौन है, इस पर उसने बताया, माता-पिता। उससे पूछा कि, कहां रहते हो, और तुम्हारा मकान कैसे टूटा, तो वह बोला कि में मांढरे की माता के मंदिर के पीछे रहता हूं, इस घटना के विरोध में उसका मकान तोड़ दिया गया है, उसे नहीं पता कि उसके माता-पिता कहां हैं। उसने कहा कि, वह सावरकर सरोवर पर ठेला लगाता था, इसलिए पुलिस वाले जानते थे।
 

बचाव में कुछ कहने से इनकार
आरोपी से जब पूछा गया कि क्या उसे अपने बचाव में कुछ कहना है, तो उसने इंकार कर दिया। सवालों के दौरान वह स्वीकार कर गया कि घटना के समय वह शराब के नशे में था।
 

बंद कमरे में चली सुनवाई
आरोपी पर लोगों का आक्रोश न फूटे, इसलिए अदालत परिसर को छावनी बना दिया गया था। उसे सुरक्षा घेरे में अदालत कक्ष में ले जाया गया। इसके बाद बंद कक्ष में सुनवाई चली। अधिकांश सवालों के जवाब उसने हां, न में दिए।

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