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ग्वालियर

जलबिहार-स्वर्णरेखा रिवर फ्रंट की सुंदरता पर किए करोड़ो खर्च, व्यवस्थाएं फिर भी नहीं

शहर के लोगों को सुबह-शाम प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी ने जल बिहार, स्वर्णरेखा रिवर फ्रंट और इटेलियन गार्डन की सुंदररता…

ग्वालियरOct 31, 2022 / 07:03 pm

रिज़वान खान

swarnrekha river

जलबिहार-स्वर्णरेखा रिवर फ्रंट की सुंदरता पर किए करोड़ो खर्च, व्यवस्थाएं फिर भी नहीं

ग्वालियर. शहर के लोगों को सुबह-शाम प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी ने जल बिहार, स्वर्णरेखा रिवर फ्रंट और इटेलियन गार्डन की सुंदररता पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। इसके बाद भी लोगों को सुंंदरता नहीं दे पाए हैं। इटेलियन गार्डन के कौनों में बैठे जोड़ों की वजह से परिवार सहित आने वाले लोगों को असुविधा होती है। जबकि नदी के किनारे पर नशैलचियों के बैठे रहने से हमेशा डर रहता है। दूसरी तरफ मौजूद बारह द्वारी को भी असामाजिक तत्वों ने अपना अड्डा बना लिया है।
फूलबाग क्षेत्र को सुंदर बनाने की प्लाङ्क्षनग मेंं नगर निगम ने फूलबाग, बारह द्वारी, महारानी लक्ष्मीबाई समाधि, संभागीय हाट बाजार, बोट क्लब, इटेलियर गार्डन और जल बिहार को शामिल किया गया था। इस प्लाङ्क्षनग को वर्ष 2009 मेंं शुरू किया गया। अभी तक इस एक किलोमीटर के क्षेत्र में लगभग दो करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बाद स्मार्ट सिटी द्वारा काम शुरू किया गया तो इन्हीं क्षेत्रों में फिर से जनता का धन खर्च किया गया। इसमें बायजा ताल को भी शामिल किया गया और साफ पानी भरने का वादा किया गया था। इन सभी कामों के पूरे होने का दावा किया जा चुका है, लेकिन एक भी जगह प्लाङ्क्षनग के अनुसार नहीं बनी है।

यह है ऐतिहासिक पॉइंट््स की स्थिति

बैजा ताल
मोतीमहल के सामने कभी तैरता मंच कहलाने वाले एतिहासिक बायजा ताल (बैजाताल) मेें नौकायन के लिए आसपास सौंदर्यीकरण कराया गया। इसके चारों ओर गु़णवत्ताविहीन पत्थर लगाए गए। इससे ये लगने के दो वर्ष की अवधि में ही चटकने लगे हैं। आसपास बेहतर इंतजाम न किए जाने की वजह से कुछ जगहों पर असामाजिक तत्वों ने पत्थर तोड़ दिए हैं। ताल में भी गंदा और बदबूदार पानी भरा रहता है।

स्वर्णरेखा बोट क्लब
वर्ष 2009 में बोट क्लब का काम शुरू कराया गया था। इस पर करीब 35 लाख रुपए खर्च किया गया था। इसके अलावा क्लब पर ही 15 लाख रुपए खर्च करके एक्वेरियम भी बनाया गया था। नदी में पानी भरके नाव डाली गई थीं। ये नाव सिर्फ एक वर्ष चलीं और फिर बंद हो गईं। अब एक्वेरियम खत्म हो चुका है। नदी में डाली गईं पैडल बोट ही बैजाताल में डाल दी गई हैं। यहां सिर्फ गंदा पानी है।

रिवर फ्रंट
-स्वर्णरेखा नदी पर शहर की एतिहासिक जानकारी देने के लिए रिवर फ्रंट बनाया गया था। संभागीय हाट बाजार की ओर की दीवार पर एतिहासिक किले की प्रतिकृति उकेरी गई थी। शुरुआत मेंं इसको उभारने के लिए लाइट लगाई गई थीं। यह प्रतिकृति अब पूरी तरह से खत्म हो गई हैं और लाइटोंं को भी गायब कर दिया गया है।

जल बिहार
-कभी ग्वालियर रियासत के राजा और महारानियों की मनोरंजन की जगह रहे जलबिहार में साफ पानी भरकर फुब्बारे चलाकर शाम के समय लोगों के टहलने का स्थान बनाया गया था। इस तालाब में मछलियां भी थीं, अब यह कम ही नजर आती हैं। बीचों बीच बने तालाब में सफाई न होने से कचरा किनारों पर सिमटा रहता है।

इटेलियन गार्डन
-जलबिहार और स्वर्णरेखा नदी के बीच एतिहासिक इटैलियन गार्डन इस गार्डन में लाखों रुपए खर्च करके सौंदर्यीकरण किया गया है। जल बिहार में एमआईसी मेंबरों के लिए बनाए गए चेंबर की ओर भी जगह को साफ करके कुर्सियां लगाई गई हैं। गार्डन से बारह द्वारी पर जाने के लिए एक पैदल पुल भी बनाया गया है। यह जगह परिवार सहित आने वालों के मनोरंजन के लिए तैयार की गई थी। वर्तमान में यहां नदी के किनारे पर नशैलची बैठते हैं और पार्क के कौनों पर जोड़े हरकतें करते नजर आते हैं।

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