नगर निगम ने ली जिम्मेदारी
नगर निगम आयुक्त किशोर कान्याल ने बताया, इस प्लांट को लगाने का बीढ़ा भले ही इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने उठाया है, लेकिन इसकी देखभाल नगर निगम ही करेगा। उन्होंने बताया प्लांट के लगने से शहर की डेयरियों से निकलने वाले गोबर और सूखे व गीले कचरे से भी निजात मिल सकेगा। इस प्लांट से प्रतिदिन 2500 किलो सीएनजी गैस का उत्पादन हो सकेगा, जिससे निगम को हर साल 6.37 करोड रुपए का लाभ होगा। और इससे स्वच्छ सर्वेक्षण में भी शहर को अच्छे अंक मिलेंगे।
4 माह के सर्वे के बाद दिखा असर
आपको बतादें IOC की टीम ने 4 महीने पहले गौशाला में प्लांट लगाने के लिए ग्वालियर आकर सर्वे किया था, लेकिन तब गोबर कम होने के कारण निगम 50 टन के प्लांट बनाने पर सहमत हुआ। लेकिन शहर की डेयरियों से निकलने वाले गोबर की क्षमता को देखते हुए आयुक्त को भेजे गए पत्र के आधार पर आईओसी की टीम ने 100 टन की क्षमता वाले प्लांट की सहमति दे दी थी। लेकिन स्वीकृति नहीं मिलने के कारण प्लांट का काम अधर में लटका पड़ा था। अब गौशाला में सीएआर की मद से 100 टन की क्षमता वाला प्लांट जल्द ही लगाया जाएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार की तरफ से जल्द ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
प्लांट के लगने से ये होंगे लाभ
सीएनजी प्लांट लगने से गौशाला 4 करोड रुपए की खाद भी बेच सकेगी। वहीं गाय के गोबर के अलावा सब्जी मंडियों व लोगों के घरों से निकलने वाले कचरे से खाद भी बनाई जा सकेगी। ये प्लांट 31 करोड़ की लागत से IOC द्वारा निशुल्क लगाया जा रहा है, और यहां बिजली पानी भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। प्लांट में गाय के बचे हुए गोबर से खाद बनाई जाएगी। साथ ही नगर निगम यहां वाहनों को चलाएगा भी और बेच भी सकेगा।