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ग्वालियर

हितग्राहियों को खुद बनाने थे आवास, मिलीभगत से ठेकेदार ने राशि निकाली और निर्माण छोड़ा अधूरा

प्रदेश में समृद्ध पर्यावास को लेकर मॉडल बने ग्वालियर जिले के घाटीगांव जनपद की पंचायत में आदिवासियों के आवास बनाने के लिए रिलीज हुई राशि को हितग्राहियों के खातों से ठेकेदार ने निकलवा…

ग्वालियरJan 23, 2021 / 05:49 pm

रिज़वान खान

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हितग्राहियों को खुद बनाने थे आवास, मिलीभगत से ठेकेदार ने राशि निकाली और निर्माण छोड़ा अधूरा

ग्वालियर. प्रदेश में समृद्ध पर्यावास को लेकर मॉडल बने ग्वालियर जिले के घाटीगांव जनपद की पंचायत में आदिवासियों के आवास बनाने के लिए रिलीज हुई राशि को हितग्राहियों के खातों से ठेकेदार ने निकलवा लिया। पंचायत प्रतिनिधियों की मिलीभगत से हुए इस गोलमाल के बाद अधिकतर आवास अधूरे छोड़ दिए गए हैं जो बने भी हैं, उनकी गुणवत्ता को लेकर ग्रामीण सवाल खड़े कर रहे हैं। आदिवासी समुदाय के लोगों के बैंक खातों से करीब 19 लाख रुपए निकालने की जानकारी सामने आई है। पहले 16 दिसंबर को और फिर हाल ही में 13 जनवरी को आई शिकायत के बाद शुरुआत में घाटीगांव जनपद के अधिकारियों ने मामले को दबाने का प्रयास किया था, लेकिन अब इस मामले में जांच कराने को लेकर निर्देश दिए जा रहे हैं।
इन हितग्राहियों की निकाली राशि
घाटीगांव जनपद के नयागांव-कांसेर में रामश्री, गरीबा, मेरू, कारू, सुरेन्द्र, शैलेन्द्र, साधू, रामबाबू, रूपा पत्नी मेहरबान, गंभीरा, मानसिंह, राधा, रूपा पत्नी बहादुर, संजय, बृजमोहन, सीताराम, मुंशी, चउये के आवास की राशि ठेकेदार ने निकाली है।
यह है सरकारी डाटा की स्थिति
-जिला पंचायत के डाटा में 19 लोगों में से सिर्फ दो के आवास अपूर्ण प्रदर्शित हो रहे हैं। बाकी के सभी आवासों का निर्माण पूरा होने की रिपोर्ट है। अधूरे दिख रहे आवासों के लिए 1 लाख 60 हजार रुपए की राशि जारी होने की रिपोर्ट सरकारी दस्तावेजों में है। इसकी जांच शुरू की गई है।
यह हुई है शिकायत
आवास योजना के अंतर्गत वर्ष 2017 में गरीबों के आवास स्वीकृत हुए थे। इनकी राशि भी जारी हो चुकी है। यह राशि ठेकेदारों ने निकाल ली और मकान भी नहीं अधूरे छोड़ दिए। आवास अधूरे छोड़ दिए जाने के बाद से लेकर अभी तक इस पर न तो पंचायत कर्मियों ने ध्यान दिया और न ही जनपद के अधिकारी काम पूरा करा रहे हैं। शिकायत करने वाले -आदिवासी समुदाय की शीलाबाई, रामश्री, अंगूरी, राजू, बादामी, साधू, गरीबा आदि ग्रामीणों का कहना है कि सभी हितग्राही आदिवासी समुदाय से हैं और ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं हैं तो पंचायत कर्मियों के माध्यम से ठेकेदार ने पूरा पैसा बैंक खाते से निकाल लिया था। इसके बाद निर्माण शुरू किया लेकिन बाद में अधूरा छोड़कर काम बंद कर दिया। ढाई साल से आवास अधूरे हैं।

यह है विभाग की प्रगति
– वर्ष 2016-17 में 3299 आवास का लक्ष्य था, 3170 पूर्ण हुए। 36 आवासों की तीसरी किश्त जारी होने के बाद भी अपूर्ण रहे हैं।
– वर्ष 2017-18 में 1645 आवास का लक्ष्य था, 1614 पूर्ण हुए। 16 आवासों की तीसरी किश्त जारी होने के बाद भी अपूर्ण रहे हैं।
– वर्ष 2018-19 में 2359 आवास का लक्ष्य था, 2302 पूर्ण हुए। 33 आवासों की तीसरी किश्त जारी होने के बाद भी अपूर्ण रहे हैं।
– वर्ष 2019-20 में 1422 आवास का लक्ष्य था, 1268 पूर्ण हुए। 108 आवासों की तीसरी किश्त जारी होने के बाद भी अपूर्ण रहे हैं।
– वर्ष 2017-18 के बाकी रहे 670 आवास के लक्ष्य में से 620 पूर्ण हुए। 37 आवासों की तीसरी किश्त जारी होने के बाद भी अपूर्ण रहे हैं।
अगर गड़बड़ हुई तो कार्रवाई जरूर होगी
आवास योजनाओं को लेकर शिकायत आई है, इसको लेकर पहले ही जिला पंचायत सीईओ को निर्देशित किया जा चुका है। इसको लेकर जो जांच हो रही है, उसका अपडेट लेंगे। इसके साथ ही हितग्राहियों के साथ अगर गड़बड़ हुई है तो कार्रवाई जरूर होगी।
कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर

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