scriptडकैतों के सताए पीड़ितों को हाईकोर्ट का बड़ा झटका, अब हजारों लोगों की नहीं लगेगी सरकारी नौकरी | Big Blow to the victims who were tortured by Chambal Region Dacoits from MP High Court's Gwalior Bench | Patrika News
ग्वालियर

डकैतों के सताए पीड़ितों को हाईकोर्ट का बड़ा झटका, अब हजारों लोगों की नहीं लगेगी सरकारी नौकरी

Chambal Region Dacoits : चंबल अंचल में डकैत द्वारा प्रताड़ित लोगों को दी जाने वाली नौकरी पर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश। एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इन्हे नौकरी देने का कोई कानून नहीं है।

ग्वालियरSep 28, 2024 / 03:46 pm

Akash Dewani

gwalior high court
Chambal Region Dacoits : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए चंबल अंचल में डकैतों से पीड़ित लोगों और उनके परिवारों को बड़ा झटका दे दिया है। ग्वालियर पीठ ने साल 2013 में दायर अवधेश शर्मा नाम के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले में कहा कि एमपी सरकार के डकैत पीड़ितों को सरकारी नौकरी देने वाले नियम को वह कानून नहीं मानेगी। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट के इस आदेश से चंबल अंचल के डकैत पीड़ितों को अब सरकारी नौकरी मिलना संभव नहीं हो पाएगा। आपको बता दें कि, साल 1972 और 1985 में मध्य प्रदेश शासन के गृह और सामान्य प्रशासन विभाग की ओर एक परिपत्र जारी किया गया था जिसमें चंबल अंचल में डकैत पीड़ित परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात कही गई थी।
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डकैत पीड़ित था याचिकाकर्ता

बता दें कि, इस मामले हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाले याचिकाकर्ता अवधेश शर्मा खुद एक डकैत पीड़ित है। उन्होंने अपनी याचिका में बताया था कि उन्होंने अपने लिए सरकारी नौकरी की मांग इसलिए की है क्योंकि साल 1981 में डकैत मनिया महावीर की गैंग ने उसके दादा नरसिंह राव की हत्या कर दी थी। यही नहीं, उनके पिता राम नरेश शर्मा को भी डकैत राजू कुशवाह गैंग ने अगवा किया था, जिन्हें जनवरी 1997 को फिरौती की रकम देने के बाद छोड़ा गया था। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में उसी परिपत्र का हवाला दिया जिसमे राज्य शासन ने डकैत पीड़ितों को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी। इसी आधार पर उन्होंने साल 2012 में भिंड कलेक्टर को सरकारी नौकरी का आवेदन दिया था लेकिन उन्होंने इस आवेदन खारिज कर दिया था।
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सरकारी नौकरी देना कानून नहीं – ग्वालियर पीठ

याचिकाकर्ता अवधेश शर्मा ने ग्वालियर पीठ कोर्ट में हरीश दीक्षित केस का भी हवाला दिया जिसमे डकैत पीड़ित परिवार को नौकरी दी गई थी। दूसरी तरफ सरकारी वकील ने परिपत्र को चिन्हित करते हुए दलील दी कि इस परिपत्र में प्राथमिकता शब्द का इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि हरीश दीक्षित केस से जुड़े तथ्य बहुत भिन्न थे। कोर्ट ने कहा कि डकैत पीड़ित को नौकरी देने का कोई कानून नहीं है।edited 01:40 PM

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