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22 बार चुनाव हार चुका है ये उम्मीदवार 23 बार फिर से मैदान में, कहा- इस बार जीत की उम्मीद

22 बार चुनाव हार चुका है ये उम्मीदवार 23 बार फिर से मैदान में, कहा- इस बार जीत की उम्मीद

ग्वालियरApr 20, 2019 / 10:57 am

Pawan Tiwari

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22 बार चुनाव हार चुका है ये उम्मीदवार 23 बार फिर से मैदान में, कहा- इस बार जीत की उम्मीद

ग्वालियर. मध्यप्रदेश की ग्वालियर लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के विवेक शेजवलकर और कांग्रेस के अशोक सिंह के बीच है। लेकिन इन दोनों के बीच एक ऐसा भी उम्मीदवार है जो लोगों का ध्यान खींच रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने चायवाले को मुद्दा बनाया था। पीएम मोदी आज भी अपने भाषणों में कहते हैं कि विपक्षी दलों को यह स्वीकार नहीं हो रहा है कि एक चायवाला प्रधानमंत्री कैसे बन गया। वहीं, ग्वालियर लोकसभा सीट पर एक चायवाला ऐसा है जो अब तक 22 बार चुनाव लड़ चुका है और 23वीं बार एक बार फिर से मैदान में है। एक बार फिर से जीत की उम्मीद को लेकर आनंद सिंह कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं। आनंद सिंह कुशवाहा 1994 से हर चुनाव में किस्मत आजमाते आ रहे हैं। आपको बता दें कि आनंद नगरपालिका से लेकर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक सभी चुनाव लड़ चुके हैं।

चाय की दुकान चलाता है ये उम्मीदवार
ग्वालियर के तारागंज मोहल्ले में चाय का एक छोटा सा होटल चलाने वाले आनंद सिंह कुशवाहा को ‘रामायणी’ के नाम से भी जाना जाता है। वे नगर निगम से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके हैं। आनंद सिंह चाय का छोटा से होटल चलाते हैं, लेकिन आंखों में सपने बड़े बुनते है। वे एक बार चुनाव जीतकर देश से भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं।

1994 में लड़ा था पहली बार चुनाव
नगर निगम के चुनाव से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके आनंद के इस सफ़र की शुरुआत 1994 में नगर निगम के चुनाव से हुई थी। तब उन्होंने शिवराज सरकार में मंत्री रहे नारायण सिंह कुशवाहा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ चुके आनंद सिंह कुशवाह प्रतिभा पाटिल और प्रणव मुखर्जी के खिलाफ राष्ट्रपति का चुनाव लड़न के लिए नामांकन कर चुके हैं।
दृढ़ता देखकर समझाना बंद कर चुके हैं परिवारवाले
गौरतलब है कि पहली बार कुशवाहा ने 25 साल पहले ग्वालियर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी। आनंद के परिवारवालों ने पहले तो उन्हें खूब समझाने-बुझाने की कोशिश की लेकिन उनकी दृढ़ता को देखकर अब वे भी उनकी उम्मीदवारी पर कुछ नहीं बोलते हैं।

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