जिलेवासियों के अनुसार, वर्षों से उठ रही मांगों पर इस बार के बजट में भी ध्यान नहीं दिया गया है। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए ही बजट में प्रावधान किए गए हैं। शासकीय कर्मचारियों/अधिकारियों का DA 31 फीसदी किया गया है, जिससे जिले के करीब 1 लाख 19 हजार शासकीय कर्मचारी/अधिकारियों और दैनिक वेतनभोगियों को फायदा होगा।
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बजट से जिलेवासियों को थी ये उम्मीदें, लेकिन नहीं हुई पूरी
-रिंग रोड
शहर में लगातार ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ती जा रही है, जिसे देखते हुए शहरवासी काफी लंबे समय से रिंग रोड की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि, पिछले 10 वर्षों से रिंग रोड की मांग उठाई जा रही है। सड़क सुरक्षा समिति हर बैठक के दौरान इस मांग को उठाती है। इस बार पेश होने वाले बजट में रिंग रोड को मंजूरी मिलने की उम्मीद थी। लेकिन, इस बार भी वो अधूरी रह गई।
-मेडिकल कॉलेज
जिले में लंबे समय से मेडिकल कॉलेज को लेकर मांग उठाई जा रही है। बीच में एक निजी मेडिकल कॉलेज खुला था, लेकिन वो भी बंद हो चुका है। इस निजी कॉलेज की वजह से ही 2020 में सरकारी मेडिकल कॉलेज को मंजूरी नहीं मिल सकी थी। लेकिन, अब इस निजी मेडिकल कॉलेज पर ताले लगे हुए हैं। ऐसे में उम्मीद थी कि, मेडिकल कॉलेज को मंजूरी मिलेगी।
-सिंचाई व्यवस्था
जिले के बमोरी में नागरिकों को सिंचाई के लिए तीन तालाब परियोजना बजट के आभाव में अटकी हैं। इस बजट से उम्मीद थी कि, संबंधित परियोजनाओं के लिए बजट स्वीकृत होगा, लेकिन बजट में इसका भी जिक्र नहीं है।
-बस स्टैंड
मौजूदा समय में शहर में चल रहे जज्जी बस स्टैंड को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की ओर से साल 2001 में अनुपयोगी माना जा चुका है। तभी से संभावना जताई जा रही है कि बस स्टैंड शहर से हटकर शहर के बाहर बनेगा। लेकिन, इस बार के बजट में इस मांग पर भी ध्यान नहीं दिया गया। वहीं, प्रशासन उसी अनुपयोगी जज्जी बस स्टैंड में करोड़ों रुपये खच करके निर्माण कर रहा है।
उम्मीदों पर फिरा पानी
इस संबंध में शहर के सामाजिक संगठनों का कहना है कि, पुरानी पेंशन स्कीम का घोषित न हो पाना दुर्भाग्य की बात है। शिक्षकों, कांस्टेबल, नगरपालिका कर्मियों की बड़ी भर्ती की उम्मीद की जा रही थी गुना में नई यूनिवर्सिटी और स्टेडियम कॉम्प्लेक्स दिये जाने की भी उम्मीद थी। गुना को संभाग घोषित किये जाने की भी उम्मीद जताई जा रही थी। गुना की नई कोर्ट बिल्डिंग, वकीलों के चैंबर और अधिवक्ता कॉलोनी के लिए भी बड़ी उम्मीद थी, लेकिन इस बार भी जिले को इन सभी चीजों में मायूसी ही हाथ लगी है।
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