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गुना

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया, सरकार से मिले पैसा तो हो गुना शहर का विकास

नपा परिषद के बीते सात साल, तीन प्रशासक भी रह चुके हैं, जनता को विकास की अभी भी उम्मीद

गुनाFeb 22, 2022 / 01:46 am

praveen mishra

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया, सरकार से मिले पैसा तो हो गुना शहर का विकास

आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया, सरकार से मिले पैसा तो हो गुना शहर का विकास

गुना। गुना नगर पालिका में आय के रूप में हर माह दो करोड़ भी नहीं आ रहे, जबकि वेतन, डीजल व अन्य खर्चे लगभग पौने तीन करोड़ रुपए के करीब है। कुल मिलाकर ये है कि नगर पालिका में आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। आमदनी से अधिक पैसा खर्च होने से वर्तमान में यह स्थिति हो गई है कि पैसे के अभाव में पूर्व से चल रहे कई प्रोजेक्टों की या तो गति धीमी हो गई है या बंद की स्थिति में आ गए हैं। जो प्रोजेक्ट शहर की सुन्दरता के लिए शुरू होना थे, वे भी शुरू नहीं हो पाए। जिनके पूरे होने के बाद गुना शहर में चार चांद लग जाते। नगर पालिका परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद ढाई साल के कार्यकाल में तीन प्रशासक चले गए, चौथे प्रशासक के रूप में फ्रेंक नोबल ए आए। तीसरे प्रशासक कुमार पुरुषोत्तम के जाने के बाद फ्रेंक नोबल ए से विकास की गुना शहर की जनता को बेहद उम्मीद थी, लेकिन उनके सामने भी पैसे का अभाव बना हुआ है, जिससे प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अधर मेें लटक गए हैं। आमदनी बढ़े, इसके लिए नगर पालिका के कर्मी अपने स्वार्थ के खातिर न तो संपत्तिकर की बकाया राशि वसूलने में रूचि दिखा रहे हैं और न ही बाजार में वसूली जाने वाली पथकर वसूली भी बढ़ पा रही है। शहर की जनता का कहना है कि यहंा के जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री से गुना शहर के विकास के लिए पैसा मांगें, मप्र सरकार यदि गुना नगर पालिका को पैसा दे तो विकास और तेजी से हो सकता है। यह बात अलग है कि वर्तमान प्रशासक फ्रेंक नोबल ए समय-समय पर संपत्तिकर की कम वसूली को लेकर संबंधित वसूली कर्ताओं की क्लास लेते रहे हैं इसके बाद भी संपत्तिकर वसूली नहीं बढ़ पा रही है।
आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया
सूत्रों ने बताया कि नगर पालिका में साढ़े चार सौ सफाई कर्मी समेत अन्य अधिकारी, कर्मचारियों, वाहन,सामान खरीदी आदि पर हर माह लगभग पौने तीन करोड़ रुपया वेतन बगैरह पर खर्च होता है, जबकि आय के रूप में संपत्तिकर वसूली से प्रति वर्ष नगर पालिका को 11 करोड़ रुपए का लक्ष्य तो तय किया जाता है लेकिन संपत्तिकर के रूप में पैसा बमुश्किल चार से पांच करोड़ रुपए आ पाता है। ऐसे ही हर महीने जलकर के रूप में पचास लाख का टारगेट रहता है लेकिन वसूली के रूप में चालीस-पैंतालीस लाख लाख रुपए ही आ पाता है। जबकि हर माह शहर की जनता को पानी पिलाने के एवज में खर्च होने वाली बिजली का बिल लगभग अस्सी लाख रुपए ही आता है। ऐसे ही नगर पालिका की आठ सौ से अधिक दुकानें हैं जिनसे किराए के रूप में प्रति दुकानदार से सौ रुपए आता है, इससे लगभग दस से बारह लाख रुपए की आय होती है। मजेदार बात ये है कि नगर पालिका को चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग डेढ़ करोड़ रुपए मिलते थे, वह भी प्रदेश सरकार की ओर से बंद सी हो गई है।
42 हजार मकान, नहीं मिलता संपत्तिकर
सूत्रों ने जानकारी दी कि गुना नगर पालिका के अंतर्गत 42 हजार आवास हैं, जिनसे संपत्तिकर वसूलने के लिए इस वित्तीय वर्ष में 11करोड़ रुपए का टारगेट निर्धारित किया है, इसको वसूलने के लिए अलग से अमला भी है, लेकिन अभी तक संपत्तिकर के रूप में ढाई-तीन करोड़ रुपए आ पाए हैं। इसी तरह शहर में लगभग 36 हजार नल कनेक्शन हैं, जिनको पानी देने के एवज में हर माह बिजली का बिल ही लगभग 70 से 80 लाख रुपए आता है, और कार्यालय आदि पर बिजली जलाने पर बिजली का बिल हर माह 80 लाख रुपए नगर पालिका को अदा करना पड़ रहा है। नगर पालिका वर्तमान में बिजली कंपनी के 12 करोड़ रुपए न देने पर कर्जदार हो गई है।

ये होते काम तो शहर दिखता सुन्दर

बड़े पुल से रपटे तक का ब्रिज प्रोजेक्ट
शहर की जनता के अनुसार नगर पालिका परिषद ने शहर की जनता को यातायात के जाम से निजात दिलाने के लिए बड़े पुल से रपटे तक का ब्रिज बनाने का एक प्रोजेक्ट तैयार हुआ था। इस प्रोजेक्ट के लिए नगर पालिका 17 करोड़ 72 लाख रुपए की डीपीआर तक बन गई थी। यहां ब्रिज बनने के बाद यातायात के जाम से जनता को निजात मिल सकती है।

गोदरेज शोरूम से पुलिस कन्ट्रोल रूम तक बनना था ब्रिज
लोगों ने बताया कि हनुमान चौराहे के पास स्थित गोदरेज शोरूम से पुलिस का पुराना कन्ट्रोल रूम तक फ्लाई ओवर यानि ब्रिज बनाने का प्रस्ताव था। जिसके पीछे नगर पालिका का उद्देश्य यह था कि फ्लाई ओवर के ऊपर से बड़े वाहन व नीचे से दो पहिया वाहन निकले, जिससे हनुमान चौराहे पर यातायात का जाम लगना बंद हो जाता। इसके लिए नगर पालिका ने 7 करोड़ 85 लाख रुपए की डीपीआर बन गई थी, केवल टेण्डर होना थे, यह भी काम भी अधूरा पड़ा हुआ है। जबकि इसके लिए शासन से नगर पालिका को चार करोड़ रुपए मिल गए थे, तीन करोड़ और आना बाकी रह गए थे।
संजय स्टेडियम का काम कछुआ गति से
नगर पालिका ने मिनी स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के अलावा संजय स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ डलवाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया था। इसके लिए राशि भी आ चुकी है, एस्ट्रो टर्फ का काम काफी कछुआ गति से चल रहा है, लेकिन यह काम इतना घटिया चल रहा है, जो कुछ समय में अपनी पुरानी स्थिति में आ जाएगा।

क्रिकेट स्टेडियम
मिनी स्मार्ट सिटी के तहत पत्रकार कॉलोनी में क्रिकेट स्टेडियम बनना था इसके लिए 24 करोड़ रुपए स्वीकृत हो गए थे। इसके लिए जगह बदलने का क्रम चलता रहा। नगर पालिका का कार्यकाल पूरा होने को है, लेकिन अभी तक क्रिकेट के लिए बनने वाले प्रस्तावित स्टेडियम के काम की शुरूआत तो दूर जगह तक चिन्हित नहीं की जा सकी है।

एनीकट का काम जल्द पूरा हो
जल आवर्धन योजना के तहत सिंध का पानी रोककर शहर को देना था। इसके लिए 72 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे, जिसके तहत एनीकट का काम चल रहा है। यह काम होने के बाद शहर की जनता को चौबीस घंटे सातों दिन पानी उपलब्ध हो सकता है।

प्रधानमंत्री आवास योजना
केन्द्र की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को मकान मिलने थे, इस प्रोजेक्ट के पूरे होने में जहां कई अड़चनें आती रहीं। लगभग चौदह करोड़ रुपए न मिलने से यह प्रोजेक्ट बंद सी स्थिति में है।

जज्जी बस स्टेण्ड और ट्रांसपोर्ट नगर भी अधूरा
नगर पालिका के पास पैसे न होने से जज्जी बस स्टेण्ड को हवाई अड्डे की तर्ज पर विकसित करने और ट्रांसपोर्ट नगर में और सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम भी अधर में लटका हुआ है।

ये है विकास की दरकार
-शहर की जनता को चाहिए अच्छी सड़कें।
-हर गली हो सीमेन्ट-कांक्रीट, नालियां।
-यातायात सुगम रहे कि सड़कों का हो विस्तार।
-अंडर ब्रिजों का हो निर्माण।
-हर मोहल्ले व कॉलोनियों में पहुंचे कचरा वाहन व सफाई कर्मी।
ऐसे बढ़ सकती है नगर पालिका की आमदनी
-नगर पालिका ने जो दुकानें मात्र सौ रुपए किराए पर दी है, उनका किराया कम से कम पांच सौ रुपए कर दिया जाए तो बढ़ सकती है आय।
-जरूरतमंद व्यक्ति को जो टैंकर अभी नि:शुल्क दिए जाते हैं उनको तत्काल बंद किए जाएं और उनसे एक टैंकर के कम से कम पांच सौ रुपए वसूले जाएं।
-नगर पालिका की जहां जगह खाली है, वहां कॉम्पलेक्स बनाकर दुकानें आवंटित की जाएं।
-नई कॉलोनी में बने मकानों पर संपत्तिकर लगाया जाए।
-कॉलोनाइजरों से ली जाने वाली लाइसेंस फीस बढ़ाई जाए।
-अतिक्रमण करने वालों पर चालानी कार्रवाई के समय लगने वाले शुल्क में बढ़ोत्तरी हो।

इनका कहना है
-संपत्तिकर और जलकर वसूली के लिए शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। बकाया राशि वसूलने के लिए अलग-अलग टीमें लगी हुई हैं। संपत्तिकर न देने वालों के विरुद्ध कुर्की की भी कार्रवाई की जा सकती है।
तेजसिंह यादव सीएमओ नगर पालिका गुना

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