शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का नया मामला सामने आया है। जिला शिक्षा अधिकारी चंद्र शेखर सिसौदिया ने ही सरकार के पैसों पर सेंध लगा दी। विद्यार्थियों के टेबलेट खरीदी में घोटाला कर दिया। भ्रष्टाचार में पाए गए दोषियों पर कार्रवाई की गाज गिरना तय माना जा रहा है। डीईओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए कलेक्टर कार्यालय से पत्र शिक्षा विभाग भोपाल भेजा है। संभवत: मामले में डीईओ समेत दो-तीन अन्य को भी दोषी माना है, जिन पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।
कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए का कहना है कि डीईओ दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कर पत्र भोपाल भेजा है।
ऐेसे बनाया दबाव…फिक्स कर दी दुकान
टेबलेट खरीदे जाने के लिए प्राचार्यों को स्वतंत्र छोड़ा गया था। इसी बीच शिक्षा विभाग के डीईओ कार्यालय में टेबलेट खरीदे जाने में कमीशनखोरी का ताना-बाना तैयार हुआ और डीईओ कार्यालय के मृत बाबू के कहने पर उन्होंने अपनी पसंद की कम्प्यूटर दुकान का चयन किया और रेट भी तय कर दिए। इसके बाद प्राचार्यों को फोन करके जैन नेट कम्प्यूटर से टेबलेट खरीदने कहा प्राचार्यों को विवश होकर उसी दुकान से टेबलेट खरीदना पड़ा। कुछ प्राचार्यों ने विभाग के निर्देश को मानते हुए तकनीकी समिति से सत्यापन न कराते हुए दुकानदार को भुगतान कर टेबलेट उपकरण निर्धारित गुणवत्ता पूर्ण नहीं होने पर भी खरीदे।
खरीदी के लिए प्राचार्य थे अधिकृत
शिक्षा विभाग गुना में समग्र अभियान वार्षिक कार्ययोजना 2021-22 में हायर सेकेंडरी और हाईस्कूल में शैक्षणिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए जिले के 127 स्कूलों में कम से कम दो टेबलेट खरीदे जाना थे। इसके लिए शिक्षा विभाग ने खरीदी के लिए स्कूलों के प्राचार्यों को अधिकृत कर दिया था।
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ऐसे पकड़ा घोटाला…एक-एक प्राचार्य के बयान
टेबलेट खरीदी में हुए घोटाले की शिकायत कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए से हुई थी। उन्होंने जांच का जिम्मा तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर संजीव पांडे को सौंपा था। पांडे ने पड़ताल की तो सच सामने आया। एक-एक प्राचार्य के बयान दर्ज किए, अधिकतर प्राचार्यों ने कहा कि हमको डीईओ कार्यालय से मृत बाबू का फोन आया था, उन्होंने ही टेबलेट खरीदने के लिए दुकान का नाम और पता बताया था। दो प्राचार्यों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान नाम न बताने की शर्त पर कहा था कि हां हमारे पास भी मृत बाबू का फोन टेबलेट खरीदने के लिए आया था और हमने भी वहीं से 14 हजार 500 रुपए में खरीदा था। तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर ने टेबलेट निर्माता कंपनी से टेबलेट की वास्तवित कीमत जानी तो 8434 रुपए पता चली। जबकि जिले में यह 14 हजार 500 रुपए में खरीदा था। पांडे ने जांच में माना टेबलेट खरीदी में अधिक राशि का भुगतान कर शासकीय राशि का दुरुपयोग किया गया। उन्होंने मृत बाबू समेत डीईओ को दोषी माना और कार्रवाई भी प्रस्तावित की थी। इसी बीच पांडे का तबादला हो गया और मामला कागजों में दबकर रह गया था। कलेक्टर ने एक बार फिर मामले को निकलवाया और शिक्षा विभाग भोपाल के वरिष्ठ अधिकारी को पत्र भेजा। डीईओ के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है।
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