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सूडान संकट: सेना ने प्रदर्शनकारियों को राजधानी में विरोध-प्रदर्शन न करने की दी चेतावनी

सूडान में सैन्य सरकार के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन।
राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को किया गया था अपदस्थ।
उमर अल-बशीर 30 वर्षों तक सत्ता में रहे काबिज।

 

Apr 23, 2019 / 11:19 am

Anil Kumar

सूडान संकट

सूडान संकट: प्रदर्शनकारियों पर सेना सख्त, कहा- राजधानी में प्रदर्शन न करने की चेतावनी

खार्तूम। सूडान में सत्ता के लिए चल रहे संघर्ष के बीच सूडान की सैन्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों से कहा है कि वे राजधानी खार्तम की सड़कों से हट जाएं। सभी प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति उमर-अलबशीर को जेल से बाहर निकालने के लिए सैन्य मुख्यालय की ओर जाने वाले सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि उन्होंने राष्ट्रपति को हटाने वाले सैन्य परिषद के साथ अपने संपर्क खत्म कर दिए हैं। इधर सेना ने कहा है कि वह सत्ता सौंपने के लिए प्रतिबद्ध है और संयुक्त सैन्य-नागरिक परिषद पर विचार करेगी। लेकिन जोर देकर यह भी कहा कि यह देश की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। सैन्य परिषद के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अब्देल फत्ताह अब्देलरहमान बुरहान ने कहा कि इस तरह से यह प्रदर्शन जारी नहीं रखा जा सकता है। उन्हें नहीं पता था कि प्रदर्शनकारी इसतरह से जवाब देने के लिए सामने आएंगे। बता दें कुि इससे पहले बीते सप्ताह सूडान के पूर्व राष्ट्रपति उमर अल बशीर को तख्तापलट कर अपदस्थ किए जाने के बाद बुधवार को जेल भेज दिया गया था।

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कौन हैं उमर अल-बशीर

बता दें कि उमर अल-बशीर का जन्म सूडान में 1944 में हुआ था। सूडान के 7वें राष्ट्रपति के तौर पर 1989 में बशीर ने सत्ता संभाली थी। उसके बाद से वे लगातार 2019 तक यानी 30 वर्षों तक पद पर बने रहे। वे नेशनल कांग्रेस पार्टी के संस्थापक हैं। बशीर सूडान की सेना में एक ब्रिगेडियर के रूप में कार्यरत थे। 1989 में सरकार के खिलाफ विद्रोह करते हुए तख्तापलट कर दिया और फिर सत्ता में काबिज हो गए। इसके बाद प्रधान मंत्री सादिक अल-महदी की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को बाहर कर दिया। बशीर 1989 के बाद से तीन बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बशीर दुनिया को दिखाने के लिए फर्जी मतदान करवाता था और फिर जीत कर सत्ता में काबिज हो जाता था। 2009, मार्च में यह पहली बार हुआ कि अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने डारफुर में अल बशीर को कथित तौर पर नागरिकों का सामूहिक हत्या, बलात्कार और लूटपाट करने के मामले में आरोपी बनाते हुए वारंट जारी किया गया था।

 

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