हादसे के बाद पहली बार सलमान ने खोया आपा
बता दें कि इन दोनों क्षेत्रीय शक्तियों के बीच हाल ही में यह तनाव बढ़ा है, जिसके बाद सलमान पहली बार इतने आक्रोश में इस विषय पर बोलते नजर आए हैं। हालांकि, OIC की इस बैठक में ईरान के शीर्ष नेता शामिल नहीं हुए थे, जबकि उनकी ओर से एक प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया था। OIC देशों के नेताओं के सामने भाषण देते हुए सलमान ने कहा, ‘दुनिया को आतंकवाद को पालने वालों और उनकी आर्थिक मदद करने वालों से लड़ना चाहिए।’ इसके साथ सलमान ने बीते हफ्तों में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के तटवर्तीय इलाके में चार तेल टैंकरों के साथ कथित तोड़फोड़ की घटना को समुद्री यातायात की सुरक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला बताया। इसके साथ ही उन्होंने सऊदी अरब की तेल पाइपलाइन पर ड्रोन से हुए हमले के लिए ईरान समर्थित आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया।
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ईरान कर रहा है आरोपों से किनारा
हालांकि, ईरान लगातार इस घटना में अपना हाथ होने से इनकार कर रहा है। यही नहीं, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने यह सम्मेलन शुरू होने से पहले ही OIC नेताओं के लिए एक संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने फिलीस्तीन के मुद्दे पर चर्चा को केंद्रित करने का अनुरोध किया था। ऑनलाइन प्रकाशित किए इस संदेश में हसन ने कहा, ‘मुस्लिम नेताओं को ट्रंप प्रशासन के आगामी इजराइल-फिलीस्तीन योजना के मद्देनजर फिलीस्तीन राष्ट्र के मुद्दे की अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया किया जाना चाहिए। अपने संदेश में रूहानी ने इस्लामी सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किए जाने की भी हात कही। हालांकि, उन्होंने कहा कि ईरान वाइट हाउस के कथित ‘सदी के समझौते’ (Agreement of Century) का मुकाबला करने के लिए सभी मुस्लिम नेताओं के साथ काम करने के लिए तैयार है।’
क्या है OIC?
यह 57 सदस्यों वाला इस्लामी सहयोग संगठन है, जिनकी आबादी करीब 180 करोड़ है। इस संगठन में खाड़ी, अफ्रीका और एशिया के मुस्लिम देश शामिल हैं। यह संगठन 1969 में स्थापित किया गया था। हालांकि, 1972 में इस संगठन की नीव पड़ी और सउदी अरब के जेद्दा में इसका मुख्यालय बनाया गया। संगठन पूरे मुस्लिम समुदाय की सामूहिक आवाज के रूप में देखा जाता है, जिसका मकसद है पूरी दुनिया के मुस्लिम हितों की रक्षा करना और दुनिया के लोगों के बीच वैश्विक स्तर पर शांति और सौहार्द्र कायम करना। बता दें कि बीते फरवरी में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अबु धाबी में आयोजित हुए OIC मीटिंग में पहुंची थी। ऐसा 1969 के बाद पहली बार हुआ था जब किसी भारतीय को यहां शामिल होने के लिए बुलाया गया था।
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