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दुनिया के मध्य पूर्व में हिंसा का नया दौर, इजरायल के आगे कब तक टिका रहेगा गाजा

बेंजामिन का कहना है कि माकूल जवाब दिया जाएगा
कहा, हमास हमारे नागरिकों को परेशान नहीं कर सकता है
हाल ही के हमले में फिलिस्तीन के 23 नागरिकों की मौत

May 08, 2019 / 09:15 am

Mohit Saxena

israel

मध्य पूर्व में हिंसा का नया दौर, इजराइल के आगे कब तक टिका रहेगा गाजा

येरूशलम। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच समय-समय पर तनाव की स्थिति देखने को मिलती है। जैसे पाकिस्तान अक्सर संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है और उस पर भारत कार्रवाई करता है। वैसे ही स्थिति इजरायल और फिलिस्तीन बीच है। हाल के दिनों में दोनों के बीच दोबारा तनाव देखने को मिला। गाजा पट्टी से हमास ने इजरायल पर सैकड़ों रॉकेट छोड़े। जिसके जवाब में इजरायल ने लड़ाकू विमानों से जमकर गोलीबारी की। इसमें फिलिस्तीन के 23 नागरिक और इजरायल के चार नागरिक मारे गए।हमास ने दोबारा से युद्ध विराम लगाने की पेशकश की है।गौरतलब है कि इजरायल शुरू से ही आक्रामक देश रहा है। उसका मानना है कि अगर हमास एक भी हमला करेगा तो उसका जवाब काफी घातक होगा। हाल ही में इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि हमास की हिमाकत का वह करारा जवाब देंगे। आखिर गाजा पट्टी को लेकर इजरायल और फलस्तीन के बीच इतनी नफरत क्यों बढ़ती जा रही है। आइए चलते हैं इसके इतिहास की ओर।
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क्या है गाजा पट्टी

गाजा पट्टी एक छोटा सा फिलिस्तीनी क्षेत्र है, यह मिस्र और इजरायल को जोड़ने वाला क्षेत्र है। यह मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है। यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। इस पर हमास का शासन चलता है, जो इजरायल विरोधी आतंकवाद समूह है। ऐसा इसलिए है कि फिलिस्तीन और कई अन्य मुस्लिम देश इजरायल को यहूदी राज्य मानने से इनकार करते हैं। यूएन ने 1947 के बाद जब फिलिस्तीन को एक यहूदी और एक अरब राज्य में बांट दिया था। इसके बाद से फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संर्घष जारी है। इसमें एक अहम मुद्दा जुइस राज्य के रूप में स्वीकार करना है। वहीं दूसरा गाजा पट्टी है जो इजराइल के स्थापित होने के समय से ही संर्घष का कारण है।
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कब्जा 25 सालों तक चला

इतिहास को खंगाले तो पाते है कि इजरायल और फिलिस्तीन की लड़ाई हर दौर में हिंसात्मक रही है। गाजा पट्टी कई दशकों तक इजरायल के कब्जे में रहा है। जून 1967 में दूसरी जंग छह दिनों तक चली और इजरायल ने गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद इजरायल का यह कब्जा 25 सालों तक चला। दिसंबर 1987 में गाजा के फिलिस्तीनियों के बीच दंगों और हिंसक झड़प शुरू हो गई। जिसने बाद में इजरायली सैनिकों के खिलाफ विद्रोह का रुप दे दिया। 1994 में इजरायल और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) द्वारा हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते की शर्तों के तहत फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) को गाजा पट्टी में सरकारी प्राधिकरण का चरणबद्ध स्थानांतरण शुरू किया था। साल 2000 की शुरूआत में, पीए और इजरायल के बीच वार्ता नकाम हुई, इसके कारण हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई। इसे खत्म करने के लिए के एवज में इजरायल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने 2003 के अंत में एक योजना की घोषणा की थी। इसके तहत गाजा पट्टी से इजरायल सैनिकों को वापस हटने और स्थानीय निवासियों को बसाने पर केंद्रित है। सितंबर 2005 में इज़रायल ने क्षेत्र से पलायन पूरा कर लिया, और गाजा पट्टी पर नियंत्रण को पीए में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि इज़रायल ने इस क्षेत्र की रक्षा के लिए हवाई गश्त को जारी रखा।
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गाजा पर कई प्रतिबंधों को मंजूरी दी

इसके बाद जून 2007 में हमास ने एक बार फिर गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया। फतह (फिलिस्तिन राजनीतिक समुह) की अगुवाई वाली आपातकालीन कैबिनेट ने पश्चिम बैंक का कब्ज़ा कर लिया था। फिलीस्तीनी अथॉरिटी अध्यक्ष महमूद अब्बास ने घोषणा की, इसमें कहा गया कि गाजा हमास के नियंत्रण मे रहेगा। वर्ष 2007 के अंत में इजरायल ने गाजा पट्टी को दुश्मन क्षेत्र घोषित कर दिया। उस पर कई प्रतिबंधों को मंजूरी दी। इसमें बिजली कटौती, आयात पर प्रतिबंध और सीमा को बंद करना शामिल था।
प्रतिबंध को और बढ़ा दिया

जनवरी 2008 में हुए हमलों के बाद गाजा पर इन प्रतिबंध को और बढ़ा दिया गया। इसके साथ पूरी तरह से गाजा पट्टी के साथ अपनी सीमा को सील कर दिया। इससे अस्थायी रूप से ईंधन आयात को रोका जा सके। इसके बाद हमास की सेना ने गाजा पट्टी को मिस्र के करीब पहुंचा दिया। यहां से उसे अन्न, ईंधन और सामान उपलब्ध होने लगा। इसके बाद यूरोपियन यूनियन के पीछे हटने और सहमति के बाद गाजा पट्टी को चारों तरफ से सील कर दिया। इस समय इजरायल की आक्रमकता को देखकर ऐसा लगाता है कि गाजा पट्टी दोबारा से इजरायल के कब्जे में न पहुंच जाए।
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