ईरान पर यह हमला उस दिन हुआ है जब अमरीका द्वारा वारसॉ में बुलाई गई एक बैठक में मध्य पूर्व क्षेत्र में ईरान के घातक प्रभाव के बारे में विचार किया जाना था। यह ब्लास्ट ईरान द्वारा इस्लामिक क्रांति की 40 वीं वर्षगांठ मनाने के दो दिन बाद आया। राज्य संचालित आईआरएनए समाचार एजेंसी ने कहा कि हमला सिस्तान प्रांत में हुआ। उधर रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने एक बयान में कहा कि विस्फोटकों से भरे एक वाहन ने सीमा रक्षकों को ले जा रही एक बस को निशाना बनाया। समाचार एजेंसी फार्स ने कहा कि हमले का दावा जैश अल-अदल द्वारा किया गया है जो 2012 में सुन्नी चरमपंथी समूह जुंदाल्लाह के उत्तराधिकारी के रूप में गठित किया गया था।
ईरान का सिस्तान-बलूचिस्तान आतंकी हमलों का दृश्य रहा है। सितंबर में दक्षिण-पश्चिमी शहर अहवाज़ में सैनिकों द्वारा सैन्य परेड के दौरान उग्रवादियों ने जमकर फायरिंग की थी जिसमें 24 लोग मारे गए और 60 से अधिक घायल हो गए थे। रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की दक्षिण-पूर्वी शाखा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बुधवार को यूनिट पर हुआ हमला पाकिस्तान के साथ लगती सीमा वाले इलाके में हुआ। ये जगह अफीम तस्करी के अहम मार्ग पर पड़ता है। बता दें कि इस इलाके में अक्सर ईरानी बलों और बलूच अलगाववादियों बीच संघर्ष होता रहता है।
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