ग्रेटर नोएडा की अंसल गोल्फ लिंक सोसायटी में रहने वाले सीआईएसफ के रिटायर्ड इंस्पेक्टर सत्यपाल सिंह पिछले चार साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। एम्स के चक्कर काटने पर भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली। आरोप है कि एम्स का ऑर्गन बैंक और नेफ्रलॉजी डिपार्टमेंट ने उनसे प्राथमिकता के आधार पर उन्हें किडनी उपलब्ध कराने का वादा किया था। लेकिन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।
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दरअसल जुलाई 2016 में सत्यपाल सिंह ने एक हादसे में जान गंवाने वाले अपने 15 वर्षीय बेटे गौरव सिंह के अंगों को दान कर दिया था। सत्यपाल सिंह के अनुसार इसके कारण पांच लोगों को जीवनदान मिला था। उस समय एम्स के ऑर्गन बैंक ने उनसे प्राथमिकता के आधार पर उन्हें किडनी उपलब्ध कराने का वादा किया था। लेकिन कुछ दिन पहले तक उनकी कोई सुनने वाला नहीं था। जिसकी वजह से मजबूरी में उन्हें हर दूसरे दिन डायलिसिस कराना पड़ता था।
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सत्यपाल सिंह ने बताया कि पता चला है कि जिस डॉक्टर ने उनसे किडनी का वादा किया था, वह अस्पताल छोड़ चुके हैं और दूसरे डॉक्टर उनकी सुनने को तैयार नहीं थे और किडनी नहीं होने का कह कर टाल मटोल करते। जिसके बाद उन्होंने आरटीआई डाली जिसमें खुलासा हुआ कि एम्स में पहली जनवरी 2016 से एक जनवरी 2019 तक 365 किडनी का प्रत्यारोपण किया गया है। खबर मीडिया में आई जिसके बाद एम्स प्रशासन हरकत में आया। एम्स के अधिकारियों ने सत्यपाल सिंह को बुलाकर इस मामले में बात की है और लापरवाही बरतने पर अपने स्टाफ को फटकार भी लगाई है। इसके साथ ही उन्होंने ए पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की किडनी आने के साथ ही ट्रांसप्लांट कराने का आश्वासन दिया है।