रवि के. पासी ने बताया कि देश के कोने-कोने में बनने वाले उत्कृष्ट हस्तशिल्प और उसकी रेंज से भारत की समृद्ध विविधता की झलक मिलती है। देश में 70 लाख से ज्यादा हस्तशिल्पी और कारीगर इन समृद्ध हस्तशिल्पों के निर्माण में लगे हैं। निर्यात के जरिए वे अपने रोज़गार के साथ ही देश के लिए महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा भी अर्जित करते हैं। हस्तशिल्प सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी कच्चे माल का इस्तेमाल होता है, ये थोड़ी सी लागत से बनते हैं और इनके जरिए कारीगरों के जादुई हाथों की कारीगरी और सदियों से चली आ रही समृद्ध परंपरा भी जीवित रहती है।
ईपीसीएच के महानिदेशक राकेश कुमार ने बताया कि भले ही ये नया माध्यम है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इसमे पूरी दुनिया से बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेंगे। ग्राहकों को आमंत्रित करने के लिए ईपीसीएच ने व्यापक प्रचार प्रसार की रणनीति बनाई है। इसमें ईमेलर्स, ऑनलाइन बैनर्स, सोशल मीडिया, टेलीकॉलिंग के साथ ही आयोजन के प्रचार के लिए दुनियाभर में फैले दूतावासों और भारतीय मिशन को भी शामिल किया गया है। इस आयोजन के 49 वें संस्करण में परिषद के 1500 से ज्यादा सदस्य निर्यातक कई श्रेणियों में अपने उत्पाद प्रदर्शित करेंगे।
भारत के प्रमुख रिटेल और ऑनलाइन ब्रान्ड्स ने भी इस आयोजन में बहुत रुचि दिखाई है। इस वर्चुअल प्लैटफार्म से अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में पंजीकरण कराया है। राकेश कुमार ने कहा कि ईपीसीएच ने हरसंभव प्रयास किया है कि वर्चुअल मोड पर होने वाले इस आयोजन में थीम्स किसी भी तरह सामान्य मेले से कम ना रह जाएं। वर्चुअल प्लेटफार्म पर भी जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के हस्तशिल्प को प्रस्तुत करने के लिए विशेष थीम और प्रस्तुतीकरण की व्यवस्था की गयी है।
पूर्वोत्तर पैवेलियन में 20 से ज्यादा हस्तशिल्पी और उद्यमी ऐसी ईको फ्रेंडली कलाकृतियों का प्रदर्शन करेंगे, जो प्राकृतिक चीजों से बनी होती है, ईपीसीएच के निरंतर अथक प्रयासों की वजह से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र से होने वाला निर्यात वर्ष 2018-19 में 1323.39 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आईएचजीएफ के 49 वें संस्करण में ज्यादा से ज्यादा उद्यमियों को शामिल कर इसे और बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं। इस इवेंट में कई महत्वपूर्ण वेबिनार्स का भी आयोजन किया जाएगा। श्री कुमार ने बताया कि इस महाआयोजन के दौरान प्रतिभागियों के उत्पादों का प्रदर्शन मॉडल्स और रैंप शो के जरिए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में 25,027.08 करोड़ रुपये का हस्तशिल्प निर्यात किया गया था।