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इस फर्म को आवंटित की गई थी जमीन
मैसर्स भसीन इंफोटेक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. को 37500 वर्ग मीटर जमीन होटल कम मल्टीप्लेक्स एंड शॉपिंग कॉम्पलेक्स के लिए आवंटित की गई थी। इसमें पार्क के लिए आरक्षित 19112 वर्गमीटर के भूखंड का भी उपयोग बदले बगैर भसीन इंफोटेक को व्यावसायिक उपयोग के लिए दिया गया था। आवंटन में अनियमितता की वजह से यूपीएसआइडीसी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। इस मामले में तत्कालीन कमिश्नर डॉ. प्रभात ने यूपीएसआइडीसी के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक एवं आइपीसी की धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई व मैसर्स भसीन इंफोटेक से राजस्व के नुकसान की भरपाई की सिफारिश भी कर दी है। मैसर्स भसीन इंफोटेक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. के खिलाफ बीटा दो निवासी ब्रजभूषण शर्मा ने मेरठ मंडल के तत्कालीन कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार को शिकायत दी थी।
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यूपीएसआइडीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक से कराई गई शुरुआती जांच में भसीन इंफोटेक के खिलाफ आरोप सही मिले थे। कासना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह को विस्तृत जांच सौंपी गई थी। डॉ. अरुणवीर सिंह की जांच रिपोर्ट के अनुसार यूपीएसआइडीसी के तत्कालीन अधिकारियों व मैसर्स भसीन इंफोटेक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर ने मिलीभगत कर घोटाला किया और निगम को करोड़ों रुपये की क्षति पहुंचाई थी। यूपीएसआइडीसी ने 2006 में साइट-4 स्थित 37500 वर्गमीटर भूखंड के लिए टेंडर निकाला था। टेंडर की अंतिम तिथि सात जून 2006 थी।
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यूपीएसआइडीसी के तत्कालीन अधिकारियों ने अंतिम तिथि बीतने के बाद पांच जुलाई को तीन कंपनियों मैसर्स सैडान विकास इंडिया प्रा. लि., मैसर्स अशोका पैलेस नई दिल्ली व मैसर्स भसीन इंफोटेक एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. की बिड कानपुर स्थित चीफ इंजीनियर कार्यालय के बजाय क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय से ही स्वीकार कर ली। भूखंड की दर तय करने में भी अनियमितता बरतते हुए उस वक्त के सर्किल रेट 12000 रुपये प्रति वर्गमीटर के स्थान पर 9001 रुपये प्रति वर्गमीटर तय की। इससे यूपीएसआइडीसी को करीब 12 करोड़ का नुकसान हुआ।
यही नहीं नियमों के विरुद्ध जाकर मैसर्स भसीन इंफोटेक को उसी दर पर मार्च 2009 में 3297 वर्गमीटर अतिरिक्त जमीन और आवंटित कर दी थी। जमीन आवंटन के बाद भी यूपीएसआइडीसी के अधिकारी भसीन इंफोटेक के प्रति दरियादिल बने रहे। अनुमन्य 60 फीसदी ग्राउंड कवरेज और 1.8 एफएआर को बढ़ाकर 4 कर दिया। इसके लिए यूपीएसआइडीसी बोर्ड की बजाय क्षेत्रीय प्रबंधक ने ही फैसला कर दिया। अपने फैसले को सही ठहराने के लिए आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के शासनादेश की आड़ ले ली। बढ़े एफएआर के एवज में मैसर्स भसीन से अतिरिक्त धनराशि तक वसूल नहीं की गई। इससे करीब 55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मैसर्स भसीन ने एफएआर-4 के लिए कॉमन वेल्थ गेम्स से पूर्व निर्माण कार्य पूरा करने की शर्त को भी पूरा नहीं किया और बढ़े एफएआर का उपयोग करते हुए अतिरिक्त निर्माण कर दिया।