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ग्रेटर नोएडा

EXCLUSIVE-Dussehra 2018: यूपी के इस मंदिर में राम के साथ ही होगी रावण की भी पूजा

रावण का गांव बिसरख है।

ग्रेटर नोएडाOct 16, 2018 / 02:23 pm

virendra sharma

rawan

EXCLUSIVE-Dussehra 2018: यूपी के इस मंदिर में राम के साथ ही होगी रावण की भी पूजा

ग्रेटर नोएडा. रावण का गांव बिसरख है। मान्यता के अनुसार गांव में दशकों से रावण के पूतले का दहन नहीं किया जाता है। यहां जो कुछ मांगता है, उसकी मुराद भी पूरी होती है। यहीं वजह है कि रावण के गांव में अब राम के साथ-साथ रावण का मंदिर भी बनाने की तैयारी की जा रही है।
60 साल पहले हुई थी रामलीला

बिसरख गांव के आचार्य अशोक महाराज ने बताया कि 60 साल पहले गांव में पहली बार रामलीला का आयोजन किया गया था। उस समय गांव में एक शख्स की मौत हो गई थी। मौत के बाद में रामलीला का मंचन बंद करा दिया गया। उसी समय से ही बिसरख गांव न रामलीला का आयोजन होता है और न ही रावण के पुतले का दहन।
होगी राम और रावण की पूजा

बिसरख गांव निवासी अशोक महाराज ने बताया कि जल्द ही शिवमंदिर में रावण की प्रतिमा की भी स्थापना की जाएगी। 11 फीट की रावण की मूर्ति बनवाई गई है। यह जयपुर में तैयार हुई है। उन्होंने बताया कि गांव में पहले से ही राम का मंदिर है।
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गांव में मिलते है अभी भी शिवलिंग

रावण के गांव बिसरख का जिक्र शिवपुराण में भी होता है। त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था। बताया गया है कि विश्रवा ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना की थी। विश्रवा ऋषि के घर रावण का जन्म हुआ था। उसके बाद में रावण ने शिवलिंग की स्थापना गांव में की थी। बताया जाता है कि आज भी गांव में खुदाई के दौरान जमीन से शिवलिंग निकलते है।
इस शिवलिंग की गहराई नहीं जान सका कोई

बिसरख गांव में प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना त्रेता युग में की गई थी। आज भी गांव में मंदिर पूरे वैभव के साथ विराजमान है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। यह अष्टभुजी शिवलिंग है।
शिव ने दिए थे रावण को दर्शन

रावण की पूजा से खुश होकर शिव भगवान ने उन्हें गांव के मंदिर में ही दर्शन दिए थे। यहीं उन्होंंने बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। परंपरा के मुताबिक इस गांव के लोग दशहरा तो मनाते हैं, लेकिन रावण दहन नहीं किया जाता। अशोक महाराज ने बताया कि दशानन के कारण गौरवान्वित महसूस करता है। लंका पर विजय पताका फहराकर राजनैतिक सूझबूझ और पराक्रम का परिचय रावण ने दिया था। यहां यह माना जाता है कि रावण ने राक्षस जाति का उद्धार करने के लिए सीता का हरण किया था।

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