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कारण, कुछ बदमाशों ने अपना रवैया नहीं बदला, लेकिन अपराध का तरीका जरूर बदल लिया। इन्होंने पारंपरिक तरीका छोड़कर कुछ रोचक फॉर्मूले अपना लिये हैं। शायद इसी का नतीजा है कि तमाम कोशिशों के बावजूद अपराध पर प्रभावी नियंत्रण नहीं लग सका है और हत्या लूट और रंगदारी वसूलने जैसे अपराध बदस्तूर जारी हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसे कुछ बदमाशों ने रंगदारी वसूलने के अपने तरीके में क्या-क्या बदलाव किए हैं।केस -1
हाथ में पर्ची दी, फायरिंग की और चला गया –
पिछले दिनों मेरठ में कुछ होटल संचालकों के घरों की किसी ने घंटी बजाई। दरवाजा खुला तो सामने एक दुबला-पतला शख्स खड़ा था। उसने दरवाजा खोलने वाले को झट से एक पर्ची थमाई। फिर अपनी बाइक पर बैठा, आराम से बाइक स्टार्ट की। जेब से तमंचा निकाला उसे लोड किया और हवा में फायरिंग की। खाली तमंचे को जेब में रखा और गियर डालकर बाइक को भगा ले गया। सामने वाला सन्न। कभी पर्ची को देखता तो कभी दूर जाती बाइक और उस पर बैठे शख्स को। पर्ची खोली तो उसमें लिखा था, जल्द से जल्द 20 लाख का इंतजाम करके रखो। नहीं दिया तो जान से जाओगे। हफ्तेभर बाद भी कानून के लंबे हाथ इस दुबले-पतले शख्स की पहुंच से बाहर है।
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——-केस – 2
डाक से भेजा वसूली का लेटर –
बुलंदशहर के सिकंदराबाद में एक सर्राफा कारोबारी से 2 लाख की रंगदारी मांगी गई है। इसके अलावा 20 लाख अगले कुछ दिनों में देने को कहा गया है। रंगदारी का यह लेटर उन्हें डाक से मिला है। इसके बाद से कारोबारी का परिवार दहशत में है। वसूली का यह लेटर उन्हें दूसरी बार डाक से 25 जून को मिला। इससे पहले 14 जून को पहली चिट्ठी मिली थी। दोनों चिट्ठी मेरठ से भेजी गई है। यहां भी पुलिस जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।
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व्हाट्सएप से दिया वसूली का मैसेज –
बीते महीने मई में भाजपा के करीब 10 विधायकों को व्हाट्सएप पर मैसेज मिला, जिसमेंं उनसे किसी ने दस-दस लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी। इसमें नोएडा से विधायक और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह भी शामिल थे। पुलिस ने जांच की, मगर नतीजा जीरो रहा। एक्सपर्ट टीम बनाई गई, वह भी फेल साबित हुई है। यानी जमीनी स्तर पर यहां अपराधी पुलिस और एक्सपर्ट टीम से ज्यादा तेज निकले।
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पुलिस की तरफ से चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑल आउट के तहत 15 महीनों में करीब 1500 एनकांउटर हुए। इसमें 50 छोटे-बड़े बदमाश ऊपर पहुंच चुके हैं, लेकिन कानून का राज कायम नहीं हो सका है। कानून के लंबे हाथ की जगह बदमाशों का शातिर दिमाग ज्यादा काम प्रभावी साबित हो रहा है, जिससे लोग डर और दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं।