बता दे कि ग्रेटर नोएडा में प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए केंद्र की मंजूरी के बाद बनने का रास्ता साफ हो गया है। औषधी, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने इस संबंध में प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर 90 दिन के भीतर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) देने के निर्देश दिए हैं। बीते शनिवार को प्राधिकरण के अधिकारियों ने साइट का निरीक्षण किया था। योजना में 15000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा।
70 फीसदी मेडिकल उपकरण विदेश से होते हैं सप्लाई इस पार्क से देश में ही मेडिकल उपकरण बनाए जा सकेंगे और विदेशों पर निर्भरता कम होगी। भारत में अभी 70 फीसदी से अधिक मेडिकल उपकरण विदेशों से मंगाए जाते हैं। इस पार्क में विश्वस्तरीय कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी स्थापित होगा। इसमें जांच करने व गुणवत्ता परखने की भी सुविधाएं होंगी।
ग्लोबल कंपनियों का है कब्जा
प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि 60 से 70 प्रतिशत मेडिकल डिवाइस की मार्केट पर 20 ग्लोबल कंपनियों का कब्जा है। इनमें जॉनसन एंड जॉनसन, जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी, सिमेंस एजी, मेडट्रोनिक्स आदि प्रमुख हैं। मेडिकल डिवाइस पार्क बनने के बाद उपकरणों के निर्माण से लागत कम आएगी। इससे देश में कम कीमत पर मेडिकल उपकरण उपलब्ध हो सकेंगे।
डॉ. कलाम इंस्टीटयूट आफ हेल्थ टेक्नोलॉजी सलाहकार नियुक्त यीडा को निश्चित समय में किसी उपयुक्त एक्सपर्ट एजेंसी से क्षेत्र में उपलब्ध भूमि के संबंध में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने और शासन से परीक्षण कराकर रिपोर्ट भारत सरकार के केमिकल मंत्रालय में जमा कराने के निर्देश दिए थे। इस पर अमल करते हुए डॉ. कलाम इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद को सलाहकार नियुक्त किया गया था। इसके बाद डीपीआर तैयार की गई थी।
मेडिकल डिवाइस पार्क 0.25 एकड़, 0.50 एकड़ व 1 एकड़ के भूखंडों और अन्य सुविधाओं के लिए सेक्टर-28 में 350 एकड़ में बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। इस संबंध में आईआईटी कानपुर और नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने प्राधिकरण का भागीदार बनने पर सहमति प्रदान की। यीडा क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे स्थापित होने वाला यह पार्क नोएडा एयरपोर्ट से 3 किलोमीटर व दादरी ड्राई पोर्ट से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा।