एक्स्ट्रा काम में टॉयलेट भी साफ करें ड्राइवर
दरअसल, ड्राइवरों का आरोप है कि वे अपनी सुबह की शिफ्ट में 4 बजे उठकर बच्चों को स्कूल लाते हैं और फिर उन्हें घर छोड़ते हैं, जिसके कारण उन्हें दिन के बीच में रेस्ट करने का टाइम भी नहीं मिलता। मौजूदा सैलरी 8-10 हजार रुपए के बीच है, जो परिवार चलाने के लिए मुश्किल है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर उन्हें टॉयलेट और गंदगी साफ करनी है, तो हैवी व्हीकल के ड्राइविंग लाइसेंस की क्या जरूरत है।ड्राइवर संतोष कुमार और सत्येंद्र करीब 5 साल से स्कूल बस चलाते हैं। उन्होंने बताया कि नए प्रबंधक द्वारा उन्हें टॉयलेट साफ करने के आदेश दिए गए हैं। अन्य ड्राइवर, जैसे चंदन, बलराम यादव, इंद्रेश कुमार, विजय, दीपक और अरविंद ने भी यही शिकायत की है कि उन्हें स्कूल छोड़ने के बाद आराम का कोई समय नहीं मिलता, एक्स्ट्रा काम के कारण स्थिति और भी कठिन हो गई है।
शिकायत पर फॉदर भड़के बोले…नेतागिरी नहीं
जब इन ड्राइवरों ने अपनी शिकायत लेकर फादर से मुलाकात की, तो उन्हें जवाब मिला कि अगर उन्हें नेतागिरी करनी है तो सड़क पर जाएं। लेकिन, स्कूल में टॉयलेट साफ करने और झाड़ू लगाने के काम को स्वीकार करना ही होगा। इस उत्पीड़न से कई ड्राइवरों ने अपनी नौकरी छोड़ने का भी निर्णय लिया है।यह घटना इस बात को सामने लाती है कि कैसे स्कूली प्रबंधन द्वारा कम सैलरी पर काम करने वाले कर्मचारियों के शोषण को नजरअंदाज किया जा रहा है। कैसे उनके काम की परिस्थितियां और भी कठिन हो रही हैं। इस मुद्दे ने स्कूल प्रशासन के प्रति नकारात्मक जनसाधारण की भावनाओं को भी बढ़ावा दिया है।