इसके पहले श्री दुर्गा सप्तशती का पाठोपरान्त वृहद् अनुष्ठान और वेद मंत्रो के साथ गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ ने कलश स्थापना के लिए समस्त परंपराओं को पूरा संपन्न कराया। मंदिर परिसर से कलश यात्रा निकली इसमें गोरक्षपीठाधीश्वर के अलावा सभी साधू सन्त, संस्कृत विद्यापीठ के आचार्य व छात्र शामिल रहे। कलश स्थापना के लिए भीम सरोवर से जल लाया गया। फिर मंदिर में कलश पूजन व स्थापना के साथ सिद्धपीठ में स्थापित तीर्थों की प्रतीक पूजा, शंख चक्र, त्रिशूल आदि कि पूजा, पंच लोकपाल, क्षत्रपाल, नवग्रह वरूण, गौरी-गणेश, स्थापित देवविग्रहो की पूजा अर्चना की गई।
इसके बाद गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा ब्राहम्णों का वरण किया गया। पुण्य वाचन के बाद सायंकालीन श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रारम्भ हुआ। शाम सात बजे विधिवत आरती हुई। आरती में मठ पुरोहित पं. रामानुज त्रिपाठी, प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, डाॅ.अरविन्द्र चतुर्वेदी, डाॅ. रोहित मिश्र, अरूणेश शाही, जवाहर कसौधन, रामजनम सिंह, कालीबाड़ी के महन्त रविन्द्र दास आदि मौजूद रहे।
प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में मुख्य पुजारी करेंगे पूजा कलश स्थापना के साथ प्रतिदिन ब्रह्ममूर्हत में तीन बजे मुख्य मन्दिर की पूजा प्रारम्भ होती है। फिर श्री दुर्गा मन्दिर में प्रातः व शाम चार से छह बजे तक श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ व भव्य आरती सम्पन्न होती है। यह क्रम प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर नवमी तक चलेगा। शारदीय नवरात्र में अष्टमी को महानिशा पूजन शाम छह बजे और नवमी को कुमारी कन्या पूजन दोपहर 12 बजे सम्पन्न होगा।
विजयादशमी के दिन योगी आदित्यनाथ खुद करेंगे श्रीनाथ जी पूजा विजयादशमी के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्य मन्दिर में श्री नाथ जी की पूजा सुबह नौ बजे खुद योगी आदित्यनाथ करेंगे। फिर दोपहर एक बजे से तीन बजे तक श्रद्धालुओं द्वारा गोरक्षपीठाधीश्वर का तिलकोत्सव कार्यक्रम किया जाएगा। शाम चार बजे एक भव्य शोभा-यात्रा के साथ गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विशेष रथ से श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रस्थान करेंगे। वहां से मानसरोवर मन्दिर में पहुंच भगवान शिव का अभिषेक करेंगे। इसके बाद रामलीला मैदान में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का राजतिलक सम्पन्न होगा। गोरखनाथ मन्दिर में वापस आने पर वृहद् भंडारा का आयोजन होगा।