scriptDiwali 2024: गोरखपुर के इन कारीगरों की जगमग हुई दिवाली, राजस्‍थान-दिल्ली समेत कई राज्यों में बढ़ी यूपी के टेराकोटा की डिमांड | Gorakhpur ODOP products terracotta Demand increased In many states including Rajasthan-Delhi Artisans happy on Diwali 2024 | Patrika News
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Diwali 2024: गोरखपुर के इन कारीगरों की जगमग हुई दिवाली, राजस्‍थान-दिल्ली समेत कई राज्यों में बढ़ी यूपी के टेराकोटा की डिमांड

Diwali 2024: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के ओडीओपी उत्पाद टेराकोटा की डिमांड बाहरी राज्यों में बढ़ गई है। शिल्पकारों ने अब तक 30 ट्रक माल सप्लाई किया है। इसके चलते कारीगरों की दिवाली जगमगा उठी है।

गोरखपुरOct 21, 2024 / 02:08 pm

Vishnu Bajpai

Diwali 2024: गोरखपुर के इन कारीगरों की जगमग हुई दिवाली, राजस्‍थान-दिल्ली समेत कई राज्यों में बढ़ी यूपी के टेराकोटा की डिमांड

Diwali 2024: गोरखपुर के इन कारीगरों की जगमग हुई दिवाली, राजस्‍थान-दिल्ली समेत कई राज्यों में बढ़ी यूपी के टेराकोटा की डिमांड

Diwali 2024: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2018 में टेराकोटा को गोरखपुर का ओडीओपी यानी एक जिला एक उत्पाद घोषित किया। इसके बाद इससे जुड़े शिल्पकारों के दिन बहुर गए हैं। ओडीओपी में शामिल होने से पहले दम तोड़ रही यह शिल्प अब पूरे देश में छा गई है। शिल्पकारों के पास काम इतना है कि दम लेने की फुर्सत नहीं मिल रही। साल दर साल टेराकोटा उत्पादों की बढ़ रही मांग के बीच शिल्पकारों की कारोबारी दिवाली नवरात्र से पहले ही जगमग हो चुकी है। देश के अलग अलग राज्यों में करीब 30 ट्रक टेराकोटा उत्पादों की सप्लाई करने के बाद गोरखपुर के शिल्पकार दिवाली के लिए स्थानीय बाजार के लिए उत्पादों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।

बीते साल की अपेक्षा इस बार दोगुनी है टेराकोटा की मांग

शिल्पकारों की मानें दशहरा और दिवाली को लेकर गोरखपुर के टेराकोटा उत्पादों की मांग में बीते साल की तुलना में इस बार दोगुनी हुई है। त्योहारी डिमांड की सप्लाई शिल्पकारों द्वारा नवरात्र के पहले ही की जा चुकी है। राष्ट्रीय पुरस्कार के सम्मानित टेराकोटा शिल्पकार राजन प्रजापति बताते हैं कि इस बार उन्होंने दशहरा और दिवाली को लेकर 15 ट्रक उत्पादों की सप्लाई हैदराबाद, अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली, लखनऊ और राजस्थान के शहरों में की है।
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राजन ने पिछले साल 8 ट्रक टेराकोटा उत्पादों की आपूर्ति बाहरी राज्यों को की थी। राजन प्रजापति के अलावा पन्नेलाल प्रजापति ने 8 ट्रक, हरिओम आजाद ने 2 ट्रक, मोहनलाल व सोहनलाल प्रजापति ने 2 ट्रक और हीरालाल प्रजापति ने एक ट्रक उत्पादों की आपूर्ति की है। इन सभी के पास आए डिमांड नवरात्र और दशहरे के पहले ही पूरे किए जा चुके हैं।

अब स्थानीय मार्केट के लिए उत्पाद तैयार करने पर फोकस

टेराकोटा शिल्पकारों का कहना है कि अब वह दिवाली 2024 पर लोकल मार्केट की मांग के अनुरूप अपने उत्पादों को अंतिम रूप दे रहे हैं। ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद लोकल मार्केट में भी टेराकोटा शिल्प की मांग दोगुनी से अधिक हो चुकी है।

माल बेचने के लिए विज्ञापन की जरूरत ही नहीं

ये सभी शिल्पकार टेराकोटा के बाजार में आए बम्पर बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देते हैं। राजन प्रजापति कहते हैं कि हमें तो माल बेचने के लिए विज्ञापन की जरूरत ही नहीं पड़ती है। टेराकोटा की ब्रांडिंग खुद सीएम योगी ने इतनी अधिक कर दी है कि हमारे पास काम की भरमार रहती है। अभी 25 से 29 सितंबर तक ग्रेटर नोएडा में हुई यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में गोरखपुर के टेराकोटा शिल्प ने देश-दुनिया के आगंतुकों के समक्ष अपनी चमक बिखेरी। प्रतिभागी शिल्पकारों और कारोबारियों को काफी नए ऑर्डर भी मिले।
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शिल्पकारों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पहले भो टेराकोटा शिल्पकारों के पास क्षमता तो थी लेकिन शासन के प्रोत्साहन और उचित प्लेटफार्म की कमी से इसका दायरा संकुचित होता जा रहा था। 2017 तक दम तोड़ रहे इस माटी शिल्प के लिए तारणहार बनकर आए। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 2018 में टेराकोटा को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया और फिर तबसे यह शिल्प नई ऊंचाई को छू रहा है।
ओडीओपी में शामिल होने के बाद सरकार से मिल रहे प्रोत्साहन के चलते टेराकोटा का कारोबार साल दर साल विस्तृत होता जा रहा है। स्थिति यह है कि आज पुराने शिल्पकारों के पास काम की कोई कमी नहीं है। यही नहीं, टेराकोटा की भविष्य से जुड़ी संभावना को देखकर बड़ी संख्या में नए शिल्पकार और कारोबारी भी इससे जुड़ चुके हैं।
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योगी सरकार की मदद से उत्पादन बढ़ा, गुणवत्ता भी सुधरी

वास्तव में टेराकोटा का कायाकल्प तब हुआ जब सीएम योगी ने इसे गोरखपुर का ओडीओपी घोषित किया। ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधनगत, वित्तीय व तकनीकी मदद तो मिली ही, सीएम की अगुवाई में ऐसी जबरदस्त ब्रांडिंग हुई कि इसके बाजार का अपार विस्तार हो गया। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन मशीन आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान और उत्पादकता तीन से चार गुनी हो गई। गुणवत्ता अलग से निखर गई है।

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