पूरे सावन मास में यहां शिव भक्तों का सैलाब उमड़ता है, सावन मास पर भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन और पुलिस प्रशासन ने भी तैयारियां कर रखी हैं ताकि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। राजघाट थानाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने बताया की श्रद्धालुओं की सहायता के लिए पूरे सावन मास पुलिस मुस्तैद रहेगी।
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रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक के लिए लगती हैं लंबी लाइनेंकरीब 400 वर्ष पुराने इस मंदिर में दर्शन एवं पूजन के लिए गोरखपुर मंडल के अलग अलग जिलों सहित बिहार से भी लोग आते हैं। पूरे सावन भर यहां रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक, महामृत्युंजय जाप, ग्रह शांति पूजा, शतचण्डी महायज्ञ सहित अन्य धार्मिक कार्य होते हैं। सावन के पूरे महीने इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती रहती है। सावन के पहले सोमवार को आज सुबह से ही यहां पर शिवभक्तों की भीड़ जलाभिषेक के लिए जमी हुई है। भक्त जलाभिषेक कर अपने इष्ट महादेव से अपनी मनोकामनाओं की मन्नत मांग रहे हैं।
ऐसी मान्यता है कि चार सौ साल पहले यहां घना जंगल हुआ करता था। एक बार बांसी स्टेट के राजा यहां शिकार करने आए और जंगल में शेरों ने उन्हें घेर लिया। जान संकट में फंसी देखकर राजा ने अपने इष्टदेव भगवान शिव को याद किया। भगवान शिव का चमत्कार हुआ और शेर वापस लौट गए। इसी स्थान पर राजा ने भगवान का मंदिर बनवाने का संकल्प लिया। उनके आदेश पर महाराष्ट्र निवासी बाबा काशीनाथ ने यहां मंदिर की स्थापना कराई। बाबा काशीनाथ ने यहां के निवासी यदुनाथ उपाध्याय को मंदिर का कार्यभार सौंपा और तीर्थाटन पर चले गए। तब से उन्हीं के परिवार के लोग मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।
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मान्यता- सिर्फ जलाभिषेक से ही दूर हो जाते हैं लोगों के कष्टइस मंदिर में आने वाले लोगों का कहना है कि वह जब से उन्होंने होश संभाला है तबसे भगवान शिव की आराधना के लिए इसी मुक्तेश्वर नाथ मंदिर में आते हैं और उनकी सारी मनोकामनाओं को भोलेनाथ यहां पर पूर्ण करते हैं।खास तौर पर सावन के सोमवार को यहां पर जल चढ़ाने से शिव काफी प्रसन्न होते हैं और ऐसी मान्यता है कि अगर ग्रहों के कष्ट को खत्म करना है, तो सावन के सोमवार को यहां पर आकर भगवान शिव को सिर्फ जलाभिषेक ही किया जाए तो भी भगवान उनकी सारी मनोकामना को पूर्ण कर उनके कष्टों को खत्म करते हैं।