बलरामपुर जिले के प्राथमिक विद्यालय सेमरहना में प्रधानाध्यापक के पद पर अमिता शुक्ला तैनात थीं। इसी नाम से बुलंदशहर में एक और शिक्षिका तैनात थी। दोनों के शैक्षिक अभिलेख एक जैसे थे। पोर्टल पर एक ही शैक्षिक अभिलेख पर 4 शिक्षकों का विवरण मौजूद
मानव संपदा पोर्टल पर एक ही शैक्षिक अभिलेख अंकपत्र और प्रमाण पत्र पर 4 शिक्षकों का विवरण प्रदर्शित हो रहा था। जांच के दौरान पता चला कि बुलंदशहर में तैनात शिक्षिका अमिता शुक्ला की नियुक्ति 20 फरवरी 2009 में हुई थी। जबकि बलरामपुर में तैनात शिक्षिका की नियुक्ति 3 अगस्त 2010 को हुई थी। जांच के दौरान पता चला कि बलरामपुर के तुलसीपुर में तैनात शिक्षिका अमिता शुक्ला ने दूसरे के अभिलेख पर नौकरी किया है। इस पर तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी ने शिक्षिका को बर्खास्त करते हुए खंड शिक्षाधिकारी को रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद मामले को दबा दिया गया।
BSA के आदेश के 23 माह बाद दर्ज हुई FIR खंड शिक्षाधिकारी ने बीएसए के आदेश के बावजूद मामले को दबा दिया। फर्जी शिक्षक नियुक्ति का मामला तूल पकड़ने के बाद खंड शिक्षाधिकारी तुलसीपुर राजकुमार ने 23 माह बाद शिक्षिका के खिलाफ जालसाजी ,धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।
विवेचना अधिकारी अरुण कुमार दीक्षित ने नियुक्ति से संबंधित रिकार्ड तलब किए हैं। इसके साथ ही नियुक्ति और सत्यापन के समय तैनात अधिकारियों का विवरण देने के लिए कहा गया है। इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।