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जिस तरह ब्रिटिश राज में शांतिपूर्ण आंदोलन करने पर उनकी संपत्तियां कुर्क करवा दी जाती थी और ज्यादा से ज्यादा जुर्माना लगाया जाता था। ठीक उसी तरह इस सरकार में भी यही हो रहा है। सीएए पर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नागरिकता का मुद्दा नहीं है। यह एनआरसी से जुड़ा हुआ है, जिस तरह सरकार ने गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का फैसला किया है।
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उसी तरह मुस्लिमों को भी नागरिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि मुस्लिम बहुल देश में भी मुस्लिम प्रताड़ित होते हैं। अब पाकिस्तान में शिया और अहमदी उसी प्रकार प्रताड़ित हो रहे हैं, जिस तरह पाकिस्तान में दूसरी माइनॉरिटी होती है। इसलिए नागरिकता संशोधन एक्ट किसी भी धर्म को आधार बनाकर लागू नहीं करना चाहिए। इसमें वह सभी होनी चाहिए, जो अपने देशों में प्रताड़ित हो रहे हैं।