यह है मामला मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट में अरबों की जमीन का घोटाला सामने आया था। इस परियोजना के लिए गाजियाबाद के डासना (Dasna), रसूलपुर सिकरोड, नाहल और कुशलिया में अधिग्रहीत भूमि के संबंध में शिकायतें मिली थीं। मेरठ के तत्कालीन कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच की थी। जांच में पता चला कि तत्कलीन डीएम और आर्बिट्रेटर ने मुआवजे की दर को बढ़ा दिया था। इस कारण मुआवजा नहीं बंट पाया और एनएचएआई को को कब्जा नहीं मिल पाया था। इस वजह से निर्माण कार्य में बाधा आई है। घोटाले की वजह से एक्सप्रेस-वे के चौथे चरण (डासना से मेरठ) का कार्य अभी अवरुद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल के बाद भी मामला अभी तक पूरी तरह सुलझा नहीं है।
ये हैं आरोपी निधि केसरवानी (Nidhi Kesarwani) की छवि गाजियाबाद में तेजतर्रार आईएएस की रही है। वह मणिपुर (Manipur) कैडर की आईएएस अधिकारी हैं। वह प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पूरी कर अपने मूल कैडर में वापस लौट चुकी हैं। वहीं, विमल कुमार शर्मा यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वह रिटायर हो चुके हैं। इस मामले में तत्कालीन एडीएम घनश्याम सिंह व एक अमीन को सस्पेंड कर दिया गया था।